रऊफ अहमद सिददीकी की दुनिया में आपका स्वागत है

Tuesday, April 30, 2013

अश्क

लोग बहरे  हें इन्हें दिल की सुनाया न करो 
बंद दरवाजे पे आवाज़ लगाया न करो 
वक़्त की आंधी उड़ा  कर न कही  ले जाये 
रेत पर तुम मेरी तस्वीर बनाया न करो 
तेरे बीमार ने चेहरे पे कफ़न ओढ़ लिया
अब ज़रूरत नही तुम ज़ुल्फ़ का साया न करो 
उम्र भर कौन रहा साथ किसी के हम दम 
तुम मेरी याद में ये अश्क बहाया न करो

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