लोग बहरे हें इन्हें दिल की सुनाया न करो
बंद दरवाजे पे आवाज़ लगाया न करो
वक़्त की आंधी उड़ा कर न कही ले जाये
रेत पर तुम मेरी तस्वीर बनाया न करो
तेरे बीमार ने चेहरे पे कफ़न ओढ़ लिया
अब ज़रूरत नही तुम ज़ुल्फ़ का साया न करो
उम्र भर कौन रहा साथ किसी के हम दम
तुम मेरी याद में ये अश्क बहाया न करो
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