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Wednesday, April 17, 2013

बांस का उयोग

मकान, कागज बनाने के साथ अन्य कई उपयोग में लाया जाने वाला बांस अब आपकी नाश्ते और खाने की थाली में भी शामिल हो रहा है। बांस का अचार तो बनता था, लेकिन अब आप इससे बने नूडल्स, कैंडी और पापड़ का भी जायका ले सकेंगे। बांस की उपयोगिता पर लगातार काम कर रहे हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आइएचबीटी) पालमपुर ने अब बांस की मदद से कुछ खाद्य पदार्थ भी तैयार कर लिए हैं जो न केवल स्वादिष्ट हैं, बल्कि इनमें मौजूद प्रोटीन, कैल्शियम व फाइबर के कारण ये उत्पाद सेहत के लिए बेहद लाभकारी भी हैं।
बांस का ऐसा उपयोग पहले कहीं नहीं हुआ है। इन खाद्य उत्पादों को संस्थान के वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत के दम पर तैयार किया है। खाद्य पदार्थो के अलावा वैज्ञानिकों ने बांस का कोयला भी तैयार किया है। यह कोयला जहां जलने में बेहद आसान है, वहीं इससे ऊर्जा व लकड़ी संरक्षण में भी मदद मिलेगी। आइएचबीटी पालमपुर पिछले कई वर्षो से बांस पर शोध कर रहा है। बांस की कई प्रजातियां तैयार करने के लिए मशहूर इसी संस्थान में बांस का पहला संग्रहालय भी है, जहां दरवाजे से लेकर फर्श तक सब बांस का ही बना है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, बांस की मदद से कपड़ा, लकड़ी की टाइल, शैंपू, प्लाइ बोर्ड सहित कई पदार्थ तैयार किए जा सकते हैं। इस दिशा में कई देशों में कार्य भी हो चुका है। भारत के बंगलूर में यह कार्य चल रहा है। आइएचबीटी पालमपुर में तैयार उक्त खाद्य पदार्थो में नूडल्स बनाने में करीब 35 प्रतिशत बांस के फाइबर व आटे का प्रयोग किया गया है। इसी तरह से बडि़यों व पापड़ में भी करीब 35 प्रतिशत बांस के फाइबर का प्रयोग हुआ है, जबकि कैंडी पूरी तरह से बांस से ही बनाई गई है। यह कैंडी खाने में बेहद स्वादिष्ट है। वैज्ञानिकों की मानें तो इन खाद्य पदार्थो में जो तत्व है, वह शरीर के लिए बेहद गुणकारी है। खासकर फाइबर से शरीर बेहद स्वस्थ रहता है। इन पदार्थो को इसी वर्ष लोगों के बीच पहुंचाने की योजना है। निदेशक आइएचबीटी डॉ. पीएस आहूजा का कहना है कि संस्थान लगातार बांस से नये उत्पाद व बांस की नई प्रजातियों के लिए कार्य कर रहा है।

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