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Wednesday, August 23, 2017

जनरेशन गैप आपसी ताल मेल ज़रूरी

अक्सर माता-पिता शिकायत करते हैं कि क्या करें आजकल के बच्चे तो माँ-बाप को कुछ समझते ही नहीं और अपनी सोच के आगे किसी को तवज्जो नहीं देते. दरअसल युवा होते बच्चों के साथ कई बार अभिभावक सही तरीके से ताल-मेल या कम्यूनिकेशन नहीं कर पाते और इसी वजह से पैदा होता है ‘जनरेशन गैप।’ इस गैप को मिटाने और परस्पर सामंजस्य बनाने के लिए बच्चों के साथ शुरू से ही तालमेल का मैप बना लेना जरुरी है-

सप्ताह में एक बार सब साथ हों– 🌼

माना कि बच्चों की पढ़ाई, पेरेंट्स का कामधंधा और घर के अन्य सदस्यों की अपनी अपनी व्यस्तताएं होती हैं लेकिन अपने परिवार में यह नियम बना लें कि सप्ताह में कम से कम एक बार पूरा परिवार इकट्ठा होगा औऱ उस दिन आप सभी जमकर चर्चा करेंगे. चाहे वह कोई पारिवारिक मुद्दा हो,सामाजिक हो या फिर राजनीतिक मुद्दा हो. आप कितनी ही व्यस्त क्यों न हों लेकिन एक घंटा तो उसके लिए निकाल ही सकती हैं। उसके साथ कुकिंग कीजिए या कोई मूवी देखने जाइए। उसके साथ अंताक्षरी, कैरम, चेस, लूडो खेलिए या फिर दोस्तों को घर बुलाकर डांस पार्टी कीजिए। इससे सबको न सिर्फ खुल कर बोलने का मौका मिलेगा बल्कि बातों ही बातों में मन की गहराईयों में दबी कोई बात या किन्हीं मुद्दों पर व्यक्तिगत सोच का अंदाजा भी लग जाएगा.समझदार माँ बाप बच्चे की भावनाओं को समझकर उसी के अनुरूप अपनी राय व आगे की रूपरेखा बना लेते हैं.

शाम को संवाद-🌼

कोशिश करें कि शाम का खाना घर के सारे सदस्य साथ साथ ही करें. किन्हीं कारणों से अइसा संभव न् हो तो घर पहुँचने के बाद बेटे-बेटी से बातचीत जरुर करें. उन्होंने दिन भर क्या किया आपने आज बाहर क्या किया या किन मुद्दों पर बातचीत सुनी आदि पर हलकी-फुलकी टिप्पणी दें और सुनें. आप चाहें तो किशोर बच्चों से जुड़ने के लिए इंटरनेट से कई सारे छोटे-छोटे गेम्स सर्च कर उन्हें हर रात आप बच्चों के साथ खेल सकते हैं. पेरेंट्स का बच्चे के साथ रेगुलर कम्यूनिकेशन जरूरी है। इससे आप दोनों एक दूसरे की मनोभावना को समझ सकते हैं और एक दूसरे की समस्या को समझने में आसानी रहती है। आमतौर पर बच्चे मां के साथ ज्यादा खुले होते हैं और मां से अपनी हर बात बिना झिझक और डर के कह पाते हैं। ऐसे माँ की जिम्मेदारी है कि समय मिलने पर उसके साथ आधा-एक घंटा उसके साथ बात करें। उसकी समस्याओं को समझें और समाधान भी दें.

न डांटें सबके सामने –🌼

कई अभिभावक बच्चों को जहां देखो बाजार में,स्कूल में, फैमिली फंक्शन में, मेहमानों के सामने, दोस्तों के सामने कहीं भी डांट देते हैं। इससे उनके मन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। सभी बच्चों को एक तरह की परवरिश नहीं दी जा सकती है। कुछ बच्चे बहुत संवेदनशील होते हैं. ये आपकी बात का बुरा मान कर कुछ भी कर सकते हैं. बात बच्चों को प्यार करने की हो या फिर सख्ती बरतने की, हर बच्चे का अलग तरह से ख्याल रखना होता है। इसलिए बच्चों को बेहतर इंसान बनाने के लिए आपका संयम बरतना जरूरी है।

समझें बच्चे की भावनाएँ–🌼

बच्चे की फीलिंग्स को समझें। पारिवारिक और अन्य जिम्मेदारियों के कारण हो सकता है आप थोड़ा तनाव में हों. लेकिन ऐसे में बच्चों से दूर ना रहें बल्कि यही वह समय है, जब आपको अपना तनाव भुलाकर बच्चे को स्नेह से गले लगाना चाहिए और मुस्कुराना चाहिए। ऐसा करने से बच्चे से आपका स्नेह और प्रगाढ़ होगा, और आपका सारा तनाव भी पलभर में उड़न-छू हो जाएगा। साथ ही बच्चा भी आपकी भावनाओं को समझेगा. जैसे आप अपना सम्मान चाहती हैं, ठीक वैसे ही बच्चों का सम्मान भी करें और उनके सम्मान की रक्षा भी करें। बच्चों के विचारों को महत्व दें। घर अथवा परिवार के मामलों में उनकी राय को भी वरीयता दें और यदि वे अच्छी नहीं हैं तो कारण सहित बच्चों को बताएं कि उनकी राय में क्या कमी है। बच्चों की निजता का भी ध्यान रखें

इमोशंस कंट्रोल करें– 🌼

सबसे अहम बात, जो बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है, वह है आपकी भावनाओं की अभिव्यक्ति। समयाभाव के कारण हो सकता है आप अपने पति के सामीप्य अथवा साथ का अभाव महसूस करें, लेकिन जीवन की अन्य जरूरतों के साथ शारीरिक एवं मानसिक जरूरतों को पूरा करने के लिए सही समय का अवसर तलाशें। बच्चों के सामने ऐसा व्यवहार न तो करें और न ही पति को करने दें, जो बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले। परिवार, आर्थिक स्थिति, रिश्तेदारों के व्यवहार अथवा कार्यालय की बातें बच्चों के सामने करने से बचें।

दूरी मिटाएं -🌼

बच्चा आपसे किसी बात पर या किसी आम बात पर जिद कर ले और रूठ जाए तो उसे मनाएं औऱ उससे बात करके दूरी मिटाने की हर संभव कोशिश करें। ऐसा करने से जिद छोड़ देंगे और आपसे अपनी बातें साझा करने लगेंगे। हो सकता है बच्चा आपसे कुछ ऐसे सवाल पूछे या किसी बातें कहे, जो बेतुकी हों, लेकिन आप उसकी हर बात को ध्यानसे सुनें और सोच-समझकर प्यार से जवाब दें। बच्चे अक्सर बढ़ती उम्र में शारीरिक परिवर्तन की वजह से उग्र हो जाते हैं। ऐसे में वे कई बार विद्रोही हरकतें करते हैं। उस समय बच्चों पर नजर रखना बहुत जरूरी होता है। आज कल के बच्चे अपने करियर को लेकर बचपन से ही बहुत संजीदा होते हैं, लेकिन पेरेंट्स उन पर अपनी मनमर्जी थोपते हैं। उनको जो बनने की इच्छा है, उसे बनने में मदद करें। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो वे आपके सामने तो अच्छा व्यवहार करेंगे लेकिन आपके पीठ पीछे वो ऐसी हरकतें करेंगे जिसकी आपने कल्पना भी नहीं की होगी.

उन्हें प्रोपर्टी नहीं जिम्मेदारी समझें–🌼

अक्सर मां-बाप के साथ ऐसे व्यवहार करते हैं कि वे जो बोलें बच्चे को वैसा ही करना होगा। जैसे वो उनकी प्रॉपर्टी हों। लेकिन यह गलत सोच है. आप बस यही मानिए कि आप उस बच्चे को दुनिया में लाने का एक जरिया मात्र हैं। हां, उस बच्चे को बेहतरीन इंसान बनाने का दारोमदार आप पर जरूर है। आप उसे पालते-पोसते और बड़ा होते हुए एक बेहतरीन इंसान बनाइए। उसे गलत और सही की पहचान कराइए। देखिए, उसकी गलतियों को सुधारिए। मत भूलिए कि वो देश का आने वाला कल है। आप जैसी परवरिश करेंगे, वह वैसा इंसान बनेंगे।

आप खुद आदर्श बनें–🌼

एक आम शिकायत है कि बच्चे बड़े बुजुर्गों की कद्र नहीं करते. घर के लोगों के  साथ उनका व्यवहार अच्छा नहीं है।ऐसे में आपको उनके सामने अच्छा उदाहरण बनना होगा. यदि आप घर में अपने सास-ससुर, या देवरानी-जेठानी अथवा बड़े भाई-बहनों के साथ बेहतर व्यवहार रखेंगे तो बाहर वे महिलाओं के साथ वैसे ही व्यवहार करेंगे और कल को जब आप उम्रदराज होंगे तो आपके साथ भी. इसलिए घर का माहौल बदलना बहुत जरूरी है. बच्चों के सामने लड़ाई-झगड़ा न करें। बचपन से ही उन्हें लोगों खासकर महिलाओं का आदर करना सिखाइए।

समस्या में साथ खड़ी हों-  🌼

कभी बच्चे किसी मुसीबत में पड़ जाएँ और घबरा जाएँ तो ऐसे में आप उनका साथ दें। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा। बच्चे को लगना चाहिए कि आप उनके साथ हैं। अच्छा करने पर उन्हें प्रोत्साहित करें और यदि बच्चे ने कुछ गलत कर दिया हो तो उसे डांटने के बजाय, उनकी गलती के परिणामों को समझाएं। इससे बच्चों की समझ भी बढ़ेगी और वे आपसे अपनी हर बात शेयर करेंगे। हो सके तो रोजाना सुबह अथवा शाम को बच्चों के साथ इधर-उधर घूमने निकलें। ।

शुरू से दें अच्छे संस्कार – 🌼

मां ही बच्चे को अच्छे संस्कार देती है। इसलिए हर वक्त टीवी मत देखते रहिए और उस समय को बच्चे के साथ निवेश कीजिए। कुछ पारंपरिक चीजें हैं, जिन्हें फॉलो करने में कोई बुराई नहीं। इन स्वस्थ पारंपरिक बातों और रिवाजों को बच्चे के साथ बांटें, हाँ ! उन्हें अंधविश्वास से दूर रखें। उन्हें नैतिक मूल्यों की जानकारी दें. इंसानियत का पाठ पढाएं. गरीबों, बेसहारा व बुजुर्गों की मदद करना सीखें.

अनुशासन भी जरूरी – 🌼

छूट देने के साथ कुछ नियम भी बनाएं ताकि बच्चा अपनी जिम्मेदारी समझे। आपको या किसी अन्य चीज को टेकन फॉर ग्रांटेड न समझे, इसके लिए थोड़ी सख्ती भी जरूरी है। हर चीज के लिए समय बांधना अच्छा है लेकिन बंधन ऐसा न हो कि उसकी सांस ही अटक जाए, इसका ध्यान भी आपको ही रखनाहै। उसे पिता की इज्जत करना सिखाएं। मां का फर्ज बनता है कि वह उन दोनों के बीच अच्छे रिश्ते बनाने की कोशिश करें। बच्चे को समझाएं कि उसके पापा उनसे बहुत प्यार करते हैं। वह तभी गुस्सा करते हैं, जब उनके ऑफिस में कुछ गड़बड़ रहती है या उनका दिन अच्छा नहीं बीतता या फिर जब वह घर के नियमों व अनुशासन को भंग करता है.

दूसरों से तुलना न करें – 🌼

दूसरे बच्चों के साथ उसकी तुलना न करें। इससे बच्चा खुद को उपेक्षित महसूस करता है। फलां अपने मां-बाप की सारी बातें मानता है, अमुक अपनी क्लास में टॉप करता है, वह टीवी एक घंटे से ज्यादा नहीं देखता है। यह सब बेकार  की बातें हैं. आपके लिए दूसरे बच्चों से उसकी तुलना करने से अच्छा है कि आप अपने बच्चे में सकारात्मक चीजें देखें। हर बच्चा अलग तरह का होता है और उसका नजरिया भी। उसके नजरिए को देखने और समझने की कोशिश करें। संभव है कि वह बहुत अच्छी चित्रकारी करता हो, अच्छे से अपना खाना खाता हो, टीवी पर कार्यक्रम देखकर उससे डांस या गाना आसानी से सीख लेता हो। उससे व्यवहारिक अपेक्षाएं रखें ताकि उस पर अनचाहा दबाव न रहे। आप यदि रह सोचती हैं कि बच्चा पूरे दिन पढता रहे और टीवी बिल्कुल न देखें, मोबाइल पर गेम न खेले, तो यह संभव नहीं है।

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