रऊफ अहमद सिददीकी की दुनिया में आपका स्वागत है

Thursday, June 29, 2017

क्या मुसलमान सेना के खिलाफ हैं

*चैनलो पर और सोशल मीडिया पर आजम खान का बयान 'विवादित' शब्द के साथ चलाया जा रहा है। ट्वीटर पर शटअप आज और अरेस्ट आजम ट्रेंड कर रहा है। सवाल है कि आजम ने ऐसा क्या कह दिया जिससे ऐसी नौबत आई ? समाजवादी पार्टी के फायरब्रांड नेता ने सेना पर बयान देते हुऐ कहा कि आखिर क्या कारण है कि नक्सली हमलो मे मारे गये जवानों के गुप्तांग महिलाओ ने काट डाले थे ? आजम यहीं नहीं रुके उन्होने आगे कहा कि "उन महिलाओं को जवानो के हाथ, आंख, कान से परेशानी नही थी जिस चीज से परेशानी थी उसे काट लिया गया।"  इस बात पर आजम खान पर लगाता निशाना साधा गयआ खुद आजम खान अखबारो की कटिंग के साथ सफाई दी कि उन्होने वही कहा है जो अखबारो मे छपता है। दरअसल्ल सेना को ऐसा बना दिया गया है कि अगर कोई सेना की ज्यादती पर भी सवाल करे तो उसे देशद्रोही मान लिया जाता है ? हर एक सवाल के सामने देश को लाकर रख दिया गया है ऐसा पहली बार हो रहा है जब सरकार की नीतियो की आलोचना करने को भी देशद्रोह बताया जा रहा है।*
*2012 मे गृह मंत्रालय की रिपोराट के मुताबिक छत्तीसगढ मे ऐसी दर्जनो आदिवासी महिलाओ की लाशें मिली जिनके गुपतांगो में पत्थर तक निकले थे। आरोप था कि सीआरपीएफ के जवानो ने इन महिलाओ के साथ बलात्कार किये थे। 1992 मे हुऐ कश्मीर के कुनान के पोशपोरा की दर्दनाक घटना को कौन भूल सकता है ? कश्मीर के कुनान और पोशपोरा मे सेना के जवानो पर 14 साल की बच्ची से लेकर 80 साल की वृद्धा के साथ बलात्कार करने के आरोप लगे थे ? उसके बाद जो इन महिलाओ ने भौगा वह बहुत डरावना है दूसरे गांव के लोगो ने इन गांवो का बहिष्कार कर दिया क्योकि उनका मानना था कि बलात्कार हो जाने के बाद अब ये गांव अछूत हो गये हैं। इसीलिये कुनान और पोशपोरा का बहिष्कार कर दिया गया था। मणिपुर की एक फोटो अक्सर सोशल मीडिया और न्यूज वेबसाईटो पर दिख जाती है जिसमें महिलाऐं निर्वस्त्र होकर सेना के खिलाफ प्रदर्शन करती नजर आती हैं। जिस बैनर के साथ ये महिलाऐं प्रदर्शन कर रही हैं उस पर लिखा है Indian Army Rape Us साल भर पहले बीबीसी ने एक सीरीज चलाई थी जिसमें उन महिलाओ के साक्षात्कार थे जो नग्न होकर इस बैनर के साथ प्रदर्शन कर रही थीं। ये सिर्फ वे घटनाऐं हैं जो इस देश के मस्तिष्क पटल पर ताजा हैं, और गाहे बगाहे इनकी चर्चा होती रहती है। आजम खान ने जिस घटना का हवाल दिया है वह घटना  दो महीने पहले की है जब नक्सलियो ने सीआरपीएफ जवानो पर हमला करके 25 सीआरपीएफ जवानो को मार डाला था। नक्सलियो ने मृतक जवानो मे से छ जवानो के गुप्तांग काटे थे जिसके बारे मे कहा गया था कि गुप्तांग महिला नक्सलियो के द्वारा काटे गये। बाद मे नक्सलियो ने आडियो टेप जारी करके कबूल किया था कि हमने हमारी महिलाओ के साथ हुऐ बलात्कार का बदला लिया है। किसी भी हिंसक कार्रावाई की इजाजत गैरसंवैधानिक है। नक्सलियो के द्वारा की गई बर्बरियत को तर्कसंगत नही ठहराया जा सकता। मगर देशभक्ती का नाम लेकर मणिपुर की नग्न होकर प्रदर्शन करती महिलाओ को भी नजरअंदाज नही किया जा सकता। उस रिपोर्ट से कैसे आंख चुराई जा सकती है जो इसी देश के गृहमंत्रलय की है और बताती है कि आदिवासी महिलाओ के साथ बलात्कार हुऐ और उनके जिस्म मे पत्थर ठूंस दिये गये ?  बेहतर होता कि आजम खान के बयान की गंभीरता को समझा जाता।* *लेकिन मीडिया के वातानूकूलित कमरों और सोशल मीडिया पर बैठकर देशभक्ती सिखाने वाले आजम खान के पीछे पड़ गये ताकि आजम के सहारे यह साबित किया जा सके कि मुसलमान सेना के खिलाफ हैं।*

Tuesday, June 13, 2017

काला नमक


कई बीमारियों का अचूक इलाज है काला नमक
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काला नमक स्वाद में लाजवाब तो है ही, औषधीय गुणों की भी खान है। काले नमक में 80 तरह के खनिज पदार्थ पाए जाते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखने में काफी कारगर हैं। आप इसे रोज की खुराक में शामिल कर सकते हैं। सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में नीबू का रस और एक चुटकी काला नमक मिलाकर रोज पिएं, कुछ ही दिनों में आपका हाजमा एकदम ठीक हो जाएगा। पेट में गैस और जलन का नामोनिशान नहीं रहेगा। यह मोटापे, उच्च रक्तचाप, जोड़ों में दर्द जैसी तमाम बीमारियों को दूर करने में काफी सहायक है।
नमक से न केवल हमारा भोजन स्वादिष्ट बनता है, बल्कि हमारे शरीर को सही ढंग से चलाने के लिए भी यह जरूरी है। इसमें मौजूद तत्व और खनिज पदार्थ रक्त संचार के साथ-साथ शरीर के अंदर निकलने वाले विभिन्न प्रकार के आवश्यक अंदरूनी रस, एन्जाइम हारमोंस के स्राव और उसके नियंत्रण में काफी सहायक हैं।

कैसे बनता है काला नमक
साधारण नमक के अलावा मुख्य रूप से सेंधा नमक और काले नमक का इस्तेमाल किया जाता है। काले नमक का इस्तेमाल न केवल अपने देश में, बल्कि दक्षिण एशिया के तमाम देशों में किया जाता है। इसे खानों के प्राकृतिक हेलाइट से प्राप्त किया जाता है, जो भारत, बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान और कुछ हिमालयीय क्षेत्रों में पाया जाता है। 

खनिज पदार्थों से भरपूर नमक
प्राकृतिक रूप से पाए जाने के कारण इसमें तत्वों और खनिज पदाथार्ें की प्रचुरता होती है। इसमें सोडियम, क्लोराइड, सल्फर, आयरन, हाइड्रोजन जैसे तत्वों के साथ-साथ 80 प्रकार के खनिज पदार्थ पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर के लिए किसी न किसी रूप में फायदेमंद साबित होते हैं। इसमें सोडियम क्लोराइड, सोडियम बाइसल्फेट, सोडियम बाइसल्फाइट, सोडियम सल्फाइड, आयरन सल्फाइड, हाईड्रोजन सल्फाइड जैसे सॉल्ट पाए जाते हैं। सल्फर के सॉल्ट के कारण ही इसमें एक विशेष प्रकार की गंध होती है। इसका रंग हल्का गुलाबी होता है। इसे कई नामों से जाना जाता है जैसे- ब्लैक सॉल्ट, हिमालयन ब्लैक सॉल्ट, सुलेमानी नमक, काला लून, बिट लोबोन, बिट नून, पाद लून आदि।

हाजमा दुरुस्त करे
पाचन प्रक्रिया में गड़बड़ी होने से हम अकसर पेट से संबंधित कब्ज, गैस, अपच, पेट फूलने जैसी कई बीमारियों के शिकार  होते रहते हैं। हाजमे को ठीक रखने में काला नमक काफी मददगार है। एक गिलास गर्म पानी में एक चुटकी काला नमक डालकर थोड़ी देर के लिए छोड़ दें। हल्का गुनगुना हो जाने पर इसे पी लें। पेट की तमाम बीमारियों के लिए यह रामबाण है। काले नमक से भूख की कमी भी दूर होती है। इसके लिए आप किसी भी रूप में काले नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

दिल का रखे ख्याल
आधुनिक जीवनशैली में हृदयरोग काफी तेजी से फैलता जा रहा है। बढ़ता खराब कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप, शुगर, मोटापा सब हमारे दिल के दुश्मन हैं। इन सभी को ठीक व नियमित करने में काला नमक काफी कारगर है। दिल की बीमारी और उच्च रक्तचाप वाले मरीजों के लिए साधारण नमक की बजाय काला नमक काफी फायदेमंद है। काले नमक में साधारण नमक की तुलना में सोडियम कम होता है, जिससे उच्च रक्तचाप को नियमित करने में काफी मदद मिलती है। इससे खराब कोलेस्ट्रॉल और शुगर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इससे मोटापा भी कम होता है। मोटापा दूर करने के लिए एक गिलास गुनगुने पानी में नीबू और काला नमक डालकर सुबह और शाम पिएं। पीने के बाद 15-20 मिनट तेज टहलें। इसके बाद 15-20 मिनट तक पानी न पिएं।

सर्दी-खांसी-अस्थमा में कारगर
सर्दी, खांसी और अस्थमा के इलाज में काला नमक काफी कारगर है। इसे आप गुनगुने पानी, उबले अंडे में डालकर सेवन कर सकते हैं। काले नमक से बने गर्म पानी की भाप से कफ, बलगम और खांसी दूर करने में काफी सहायता मिलती है।

बालों की रूसी दूर करे
रूसी हमारे बालों के लिए काफी हानिकारक होती है। बालों के समय से पहले झड़ने, सफेद होने और रूखे-रूखे होने में रूसी एक महत्वपूर्ण कारण हो सकती है। रूसी दूर करने के लिए लोग तरह-तरह के साबुन और शैंपू का इस्तेमाल करते हैं। इनके कई तरह के दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं। काला नमक और लाल टमाटर का मिश्रण बालों पर लगाने से रूसी शीघ्र ही गायब हो जाती है।

अच्छी नींद लाने में सहायक
काला नमक हमें अच्छी नींद लाने में काफी मदद करता है। कोर्टिसोल और एड्रेनलाइन जैसे दो खतरनाक हामार्ेन को यह कम करता है, जिससे हमें अच्छी नींद आती है।

शरीर को करे डिटॉक्स
शरीर को डिटॉक्स करने के लिए हम अनेक उपाय करते हैं, लेकिन कभी काले नमक को नहीं आजमाते। काले नमक में काफी मात्रा में खनिज पदार्थ होते हैं। इनमें से कई एंटीबैक्टीरियल का काम करते हैं, जिससे हमारे शरीर में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया का नाश होता है।

जोड़ों के दर्द को ठीक करे
40 साल की उम्र पार होते ही जोड़ों में दर्द होना आजकल एक सामान्य बात बन गई है। कई लोगों को तो जोड़ों में दर्द 30 की आयु पार करते ही शुरू हो जाता है। आम तौर पर इसे गठिया कहा जाता है। जोड़ों के दर्द को ठीक करने में काला नमक काफी उपयोगी साबित होता है। गर्म पानी में काला नमक मिलाकर दर्द वाले हिस्से में सिकाई करने से दर्द से बहुत जल्द आराम मिल जाता है। 15-20 दिनों तक रोज दो-तीन बार सिकाई करने से जोड़ों के दर्द में जादुई असर देखने को मिलता है।

रउफ अहमद  सिद्दीकी नॉएडा

Monday, June 12, 2017

कहाँ जा रहे हे हम

Civil services,CBSC,U.P.Board ...सब के रिजल्ट आ गए ..इक्का दुक्का छोड़ के मुसलमान बच्चे किसी भी तरह की टापर की लिस्ट से गायब हैं ..
अल्लाह का हुक्म है की मुसलमान हर दौर में सफे अव्वल में रहे ...तुम्हारे लिए ढेर सारे नबी उतारे ,कुरान उतारा ,सहाबा एकराम आये ..सोने का पहाड़ दिया ,पेट्रोल दिया गैस समंदर नदी पहाड़ रेगिस्तान सब कुछ दिया पर तुम बुर्का पहने ,छोटे भाई का पजामा और बड़े भाई का कुरता पहने वही के वहीँ रहे ..
दुनिया की सबसे फिसड्डी कौम बन के रह गए हो तुम एक टूथ ब्रश भी नहीं बना पाए ...ऊपर से गुमान ये की जन्नत में तुम्ही जाओगे ...तो याद रख्हो जन्नत तुम जैसे धरती के बोझों के लिए नहीं बनी है अगर हजूर साहब के विसाले से मिल भी गयी तो वहां झाडू पोछे से ज्यादा कोई काम नहीं मिलेगा ...
...किसी कमेन्ट और बहस से बेहतर है की अपने आप में झाँका जाये और तलाशा जाये की हम कहाँ आ गए हैं ...बाकी बहस में कुछ नहीं रक्खा है ....

Saturday, June 10, 2017

नमाज़ पढ़ने के फायदे

दोस्तों आज के इस लेख में हम आपकों नमाज़ पढ़ने के फायदे के बारे में बतायेंगे। नमाज़ फर्ज करने के पिछे बहुत सारे कारण है नमाज़ हमें कई बीमारियों एवं दुनियाबी फुराफातों से बचाती है आइये आज हम आपकों नमाज़ के फायदों के बारें में बताते हैं।

नमाज़ पढ़ने के फायदें

नमाज़ हमें बुराईयों से दूर कर देता है। जिससे हम एक अच्छे सामाजिक इंसान बन जाते हैं।नमाज़ पढ़ने से याद्दास्त तेज होती है क्योंकि नमाज़ पढ़ते समय हम अपना ध्यान एक जगह केन्द्रित करते हैं।नमाज़ पढ़ने से चेहरे पर चमक आती है क्योंकि नमाज़ पढ़ने से पहले हम वजू बनाते है पाँच वक्त की नमाज में हम पाँच बार वजू बनाते हैं।नमाज़ पढ़ने से आँखों की रौशनी तेज होती हैं क्योंकि वजू बनाते समय हम अपनी आँखां को पानी देते है। सांइस ने भी प्रूफ किया है कि आँखों की रोशनी के लिए हमे आँखों में पानी का छपका मारना चाहिए।नमाज़ पढ़ने से पैर मजबूत होता है क्येंकि नमाज़ में हमें कई बार उठना-बैठना पड़ता है जो कि पैरों के लिए फायदेमंद है।नमाज़ पढ़ने से गठिया की बीमारी नहीं होती है।नमाज़ पढ़ने से हमारा शरीर स्वस्थ्य रहता है क्योंकि फज्र की नमाज़ हम सूरज निकलने से पहले पढ़ते है उस वक्त की हवा हमारे सेहत के लिए काफी मुफीद है।नमाज़ पढ़ने से बाजू मजबूत होता है क्येंकि नमाज़ पढ़ते वक्त हम सजदा में जाते है तो हम हाथों के सहारे ही सर झुकाते है जिससे हमारा बाजू मजबूत होता है।नमाज़ पढ़ने से गले में दर्द की शिकायत नहीं होती है क्येंकि नमाज़ पढ़ने के बाद हम सलाम फेरते है तो अपने गर्दन को घुमाते है। जिससे गर्दन की नसे सही रहती हैं।नमाज पढ़ने से दीमाग तेज होता है क्योंकि नमाज़ में हम अपने दीमाग का ज्यादा उपयोग करते है।

Friday, June 9, 2017

रक्त्तदान महा दान

रक्तदान के कई फायदे होते हैं। जब आप रक्तदान करते हैं तो आप कैंसर (cancer) के खतरे को दरकिनार कर देते हैं। ऐसा करने से आपको हेमोक्रोमाटोसिस (hemochromatosis) की समस्या का भी सामना करना नहीं पड़ता। इस प्रक्रिया में लिवर और पाचन ग्रंथि (liver and the pancreas) को भी काफी कम नुकसान पहुंचता है।
आपके रक्तदान करने से दिल का स्वास्थ्य काफी अच्छा रहता है और आपके मोटे होने की संभावना काफी कम हो जाती है। रोज़ाना रक्त का संचार होने से लाखों जानें बच जाती हैं। रक्तदान करना स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है। यह रक्तदान करने वाले के लिए और मरीज़ के लिए भी काफी अच्छी होती है।

रक्त के संचार की गम्भीरता (The seriousness of blood transfusion)

रक्तदान के मामले को हलके में लेना बिलकुल सही नहीं है। ऐसा किसी डॉक्टरी विशेषज्ञ की देखरेख में ही होना चाहिए। रक्तदान की प्रक्रिया अस्पतालों, क्लिनिक्स (clinics) और ब्लड बैंक्स (blood banks) में ही होनी चाहिए। अगर आपका स्वास्थ्य सही है, तभी आपको रक्तदान करना चाहिए। आगा आपको कोई रक्त आधारित बीमारी है, तो कृपया रक्तदान ना करें। आपको अपनी बीमारी फैलाने का कोई हक़ नहीं है। रक्त के संचार के पहले आपके लिए एक मेडिकल टेस्ट (medical test) में बैठना अनिवार्य है। इससे यह साबित होगा कि आप रक्तदान करने योग्य हैं भी या नहीं।

त्वचा की देखभाल तथा सौंदर्य की देखभाल के लिए विटामिन्स
रक्तदान आपकी जान कैसे बचाता है ? (How can blood donation save you)

रक्तदान करने से आप मरीजों को कैंसर की भयंकर बीमारी से बचा सकते हैं। रक्तदान उनके लिए भी काफी फायदेमंद हैं जो गंभीर एनीमिया (anemia), रक्त निकलने की समस्या, सिकल सेल एनीमिया (sickle cell amemia) और रक्त की अन्य समस्याओं के शिकार होते हैं। आपके लिए यह जानना काफी ज़रूरी है कि मानव रक्त का निर्माण नहीं किया जा सकता। ये रक्त सिर्फ एक मनुष्य ही आपको प्रदान कर सकता है। यही कारण है कि लाखों की जान बचाने का रक्तदान सबसे प्रभावी विकल्प है। हालांकि इसे दोहराने के लिए आपको रक्तदान करने की अपनी योग्यता को प्रमाणित करना पड़ता है।

रक्त जमा करना और स्वास्थ्य की जांच (Blood storage and health check)

आप अपने खून को जमा कर सकते हैं, जिससे कि भविष्य में इसका प्रयोग किया जा सके। अपने खून को एक नामी ब्लड बैंक में जमा करवाएं, जहां वे रक्त को सहेजने की नवीनतम तकनीकों का प्रयोग कर सकें। आपके रक्तदान करने से पहले एक छोटा सा स्वास्थ्य परीक्षण होता है। इस जांच का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि कहीं आपको कोई संक्रमण या रक्त से जुड़ी बीमारी तो नहीं है। अगर आप हेपेटाइटिस या एड्स (hepatitis or AIDS) से ग्रसित हैं, तो आपको अपना रक्तदान करने के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए। अगर आपको हाल में ही सर्दी खांसी हुई है जिसके लिए आपने कोई टीका लिया हो, तो रक्तदान करने से पहले अपने डॉक्टर से इस बारे में पूछताछ कर लें। अगर आपको मधुमेह की समस्या है तो आपका रक्तदान करना सही नहीं होगा।

शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा बढ़ाने के प्राकृतिक नुस्खे
रक्तदान नहीं करने के अन्य कारक (More don’ts of blood donation or khoon daan)

अगर आप गर्भवती हैं तो आपके लिए रक्तदान करना उचित नहीं होगा। अगर आप रक्तदान करना चाहती हैं तो अपने डॉक्टर से बात करें और उनसे सलाह करके सही निर्णय लें। अगर आप कैंसर के मरीज़ हैं, तब तो निश्चित तौर पर आपको रक्तदान के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए। ऐसा होने से आपके शरीर से रक्त में मौजूद दूषित तत्व भी अन्य व्यक्ति के शरीर में जाएंगे।

आपको हेमोक्रोमाटोसिस से बचाए (Saving you from hemochromatosis)

अगर आप हेमोक्रोमाटोसिस की समस्या से ग्रस्त हैं तो आपको रक्तदान अवश्य करना चाहिए। यह एक स्वास्थ्य समस्या है, जिसके अंतर्गत आपका शरीर अतिरिक्त आयरन (iron) सोख लेता है। यह एक आनुवांशिक बीमारी हो सकती है और आपके ज़रुरत से ज़्यादा शराब पीने की वजह से भी हो सकती है। हेमोक्रोमाटोसिस एनीमिया और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं होने की स्थिति में भी हो सकती हैं। एक बार जब आप रक्तदान करना शुरू करते हैं तो आपको आयरन के शरीर में ज़्यादा जमने की समस्या से छुटकारा मिल जाता है। इसके लिए रक्तदान करने वाले व्यक्ति का स्वस्थ रहना काफी आवश्यक है।

स्वस्थ दिल और लिवर के लिए (Having the healthiest heart and liver)

रक्तदान करने से आपका दिल और लिवर दोनों काफी स्वस्थ रहते हैं। शरीर में आयरन की अतिरिक्त मात्रा हो जाने की वजह से आपका दिल और लिवर अस्वस्थ हो सकते हैं। यही कारण है कि आपको सही समय पर रक्तदान करना चाहिए जिससे कि आपको स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या ना हो। अगर आपके शरीर में आयरन की अतिरिक्त मात्रा है तो यह लिवर और किडनी (kidney) में जमा होता रहता है। यह दिल और पाचन ग्रंथियों में भी जाकर जमा हो जाता है। इसके फलस्वरूप आगे जाकर आपको लिवर खराब होने की समस्या से गुज़रना पड़ता है, जिसे सिरोसिस (cirrhosis) कहा जाता है। एक बार आपके रक्तदान करना शुरू करने पर आपके शरीर में आयरन का स्तर नियंत्रित हो जाता है और विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त होने की आपकी सम्भावनाएं काफी कम हो जाती हैं।

सर्दियों के मौसम के फल जो स्वास्थ्य की देखभाल के लिए उपयोगी हैं
रक्त दान के लाभ हैं रक्तदान से जुड़े तथ्य (Facts related to blood donation se rakt daan ke labh)

एक वयस्क पुरुष / स्त्री में 5-6 लीटर तक रक्त होता है।
कोई भी व्यक्ति हर तीन माह में रक्त दान कर सकता है।
रक्त में प्लाज्मा नामक प्रवाही होता है।
450 मि.ली. रक्त से 3 लोगों का जीवन बचाया जा सकता है।
रक्त दान के लाभ, हर 2 सेकंड में भारत में किसी न किसी व्यक्ति को रक्त की आवश्यकता होती है।
भारत में रक्त दान योग्य व्यक्तियों में सिर्फ 4% ही रक्त दान करते हैं।
75% व्यक्ति वर्ष में एक या दो बार रक्त दान करते हैं।
3 में से 1 व्यक्ति को जीवन में कभी न कभी रक्त की आवश्यकता पड़ती है।
रक्त कोशिकाओं के प्रकार:
श्वेत रक्त कोशिकाएं जो रोगों से रक्षा करती हैं।
प्लेटलेट्स जो रक्त के बहने पर रक्त का थक्का जमा देते हैं।
रक्त दान के लाभ, लाल रक्त कोशिकाएं जो फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर प्रत्येक कोशिका में पहुंचाती हैं और कार्बनडाइऑक्साइड को वापस फेफड़ों तक लाती हैं।
आराम प्राप्त करने के कुछ बेहतरीन नुस्खे
रक्त दान के फायदे हैं शरीर का तेज़ी से दोबारा रक्त बनाना (Blood recovery process or khoon dene ke fayde)

24-48 घंटे में पूर्ण मात्रा में प्लाज्मा।
लाल रक्त कोशिकाएं – 3 सप्ताह के अन्दर।
प्लेटलेट्स एवंहल्की रक्त कणिकाएं –मिनटों में।
रक्त दान के फायदे, रक्तदान पूर्णतः सुरक्षित होता है।
रक्त दान के गुण, रक्त दान एक बहुत ही सरल और पुण्य का काम है।
रक्त दान के गुण, रक्त दान में सिर्फ 15-20 मिनट लगते हैं।
रक्त दान के फायदे, आप किसी का जीवन बचा सकते हैं रक्त दान करके।
रक्त दान करने के लाभ (Benefits of blood donation)

रक्तदान से किसी का जीवन बचाया जा सकता है।
नियमित रक्तदान से कुछ बड़ी शारीरिक समस्याओं को कम किया जा सकता है जैसे कोरोनरी ह्रदय रोग,स्ट्रोक, कोलेस्ट्रोल इत्यादि।
रक्त दान करने के लाभ, नयी रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में वृद्धि।
हीमोक्रोमिटोसिस के साथ संपर्क सहज होता है, कैलोरी जलती हैं।
नियमित रक्त दान करने वाला व्यक्ति आवश्यकता पड़ने पर सहजता से रक्त पा सकता है।
रक्त की जांच की नियमित होते रहती है।
समाज के प्रति कर्त्तव्य का निर्वाह होता है।
रक्त दान करने के लाभ, किसी का जीवन बचने की आत्म संतोष की भावना उत्पन्न होती है।
रक्त दान करने के पश्चात अपने नित्य कर्म किये जा सकते हैं।

Thursday, June 8, 2017

मुसलमानों के सब्र का इम्तिहान न ले

मुसलमानों के सब्र का इम्तिहान ना ले।

दिल्ली का बॉर्डर सोनिया विहार अम्बे एन्क्लेव के 25 मुस्लिम परिवारों को रमज़ान में नमाज़ की दिक्कत हुई तो किसी अललाह के नेक बंदे ने 100 ग़ज़ का प्लाट मस्जिद को वक़्फ़ कर दिया,मस्जिद के ज़िम्मेदार लोगों ने सोनिया विहार थाने से मस्जिद में नमाज़ की परमिशन ली जो कि पुलिस द्वारा दे दी गई.अभी 8 दिन ही नई मस्जिद में नमाज़ अदा होते हुए थे कि कुछ अमन के दुश्मनों को यह मस्जिद चुभ गई.बिना किसी वजह बिना किसी तज़दीक के करीबन एक हज़ार आदमियों का झुंड आज दोपहर आता है और बरछा कुदाल,घन, सब्बल लेकर मस्जिद की छत से जय श्री राम के नारे लगाते हुए मस्जिद को तोड़ना शुरू करदेते हैं और देखते ही देखते मस्जिद ज़मीन दोज़ हो जाती है.सवाल यह उठता है कि यह भीड़ तंत्र कभी तो किसी अख़लाक़ को पीट पीटकर उसकी जान ले लेता है तो यही भीड़ तंत्र किसी को ज़िंदा आग के हवाले करदेता है,यह वही भीड़ तंत्र है जिसने 1992 में बाबरी शहीद की तो इस ही भीड़ तंत्र ने गुजरात,मुज़फ्फरनगर को अंजाम दिया.एक तरफ़ अमन शांति का परचम लहराने की बात करने वाले सेक्युलर लोग तो कभी दलाल और भांड मीडिया की आज आंखों पर पट्टी बंधी लगती है.? एक समुदाय की प्राथना स्थल ज़मीन दोज़ कर देने की ख़बर दिखाना तो दूर किसी काने सेक्युलर का मुंह तक नही खुल रहा ?
भीड़ ही अगर सब फैसले करने लगीं तो यक़ीन जानिए यह संविधान खतरे में है.ये पुलिस प्रशासन यह न्यायपालिकाएँ सब पर ताले मार देने होंगे. एक पल को मान भी लिया जाए कि मस्जिद अवेध थी(जब कि पुलिस परमिशन का लेटर अभी भी मौजूद है) चलिये मान भी लिया मस्जिद के पास नमाज़ पढ़ाने की परमिशन भी नही थी ? फ़िर एक भीड़ जो "जय श्री राम"के नारे लगाते हुए कैसे फैसला सुना सकती है ? और अगर मस्जिद अवेध रूप से बनाई भी गई थी तो क्यों उस भीड़ ने क़ानून का सहारा नहीं लिया ? आखिर उस भीड़ को मस्जिद शहीद करने की इजाज़त किसने दी ? पुलिस भी सवालों के घेरे में है कि एक इमारत तोड़ने में करीबन  2/3 घन्टे तो लगे ही होंगे तो क्यों पुलिस वहां नहीं पोहची.
स्थानीय लोग बता रहें हैं कि मस्जिद तोड़ने वालों में से 60% बहारी लोग थे यानी के वही गुजरात,मुज़फ्फरनगर, और सहारनपुर वाला फॉर्मूला की भीड़ बाहर से बुलाओ मारों काटो लूटो और ग़ायब हो जाओ.
अगर ऐसे ही एक समुदाय विशेष एक धर्म विशेष को निशाने पर रखकर जगह जगह इस तरह की बड़ी वारदातें अंजाम दी गईं तो फ़िर इस देश में गृह युद्ध कभी भी छिड़ सकता है.अभी भी मुसलमानों को यहां की क़ानून व्यवस्था और न्यायपालिकाओ पर यक़ीन है लेकिन ऐसी घटनाओं से यह यक़ीन दिन बा दिन कमज़ोर होता जा रहा है.सवाल एक और भी की अगर ये प्राथना स्थल अल्पसंख्यकों का ना होकर बहुसंख्यकों का होता तो क्या होता तब भी यह प्रशासन यह मीडिया ऐसे ही अपनी बगलों में मूंह डालकर बैठे रहते ?

Tuesday, June 6, 2017

N d t v. पर कसता शिकंजा।


5 जून को सीबीआई ने एनडीटीवी न्यूज चैनलों के संस्थापक प्रणय रॉय के दिल्ली स्थित आवास और तीन अन्य स्थानों पर छापामार कार्यवाही की। एनडीटीवी से जुड़ी आर.आर.पी.आर. हार्डिंग्स के दिल्ली और देहरादून के ठिकानों पर भी तलाशी ली गई। एनडीटीवी ने सीबीआई की इस कार्यवाही को परेशान करने वाला बताया है। चैनल का कहना है कि हम भारत में लोकतंत्र और बोलने की स्वतन्त्रता को पूरी तरह से कमजोर कर देने के इन प्रयासों के आगे घुटने नहीं टेकेंगे। आरोप है कि एनडीटीवी के प्रमोटरों ने आईसीआईसीआई बैंक को 48 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया है। सीबीआई की जांच में क्या निकलता है? यह आने वाले दिनों में पता चलेगा, लेकिन इतना जरूर है कि अब मीडिया घरानों को भी साफ-सुथरा रहना पड़ेगा। यूपीए के शासन में एनडीटीवी के प्रमोटरों, पत्रकारों और चैनल से जुड़े अन्य लोगों के मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, अफसरों आदि से कैसे सम्बन्ध थे, यह किसी से भी छिपा नहीं है। यह माना कि सत्ता में मीडिया घरानों की दखल होती ही है, लेकिन पांच जून को एनडीटीवी के साथ जो कुछ भी हुआ है, उससे दूसरे मीडिया घरानों को सबक लेना चाहिए। यह किसी से भी छिपा नहीं है कि जब सत्ता के साथ हाथ मिले होते हैं तब मीडिया घरानों को रियायती दरों पर बेशकीमती जमीनें आसानी के साथ मिल जाती हैं। बाद में इन जमीनों को बड़ी कंपनियों को किराए पर दे दिया जाता है। सवाल उठता है कि जो जमीन देश सेवा के लिए पत्रकारिता के नाम पर ली गई है, उसे लाखों रुपए प्रतिमाह किराए पर क्यों दे दिया जाता है? इतना ही नहीं, जब कोई मीडिया सत्ता की गोदी में बैठा होता है तो उसे विज्ञापन भी दिल खोलकर मिलते हैं, लेकिन अब समय आ गया है जब मीडिया को साफ-सुथरा रहना पड़ेगा। ऐसा नहीं हो सकता कि मौका मिलने पर मीडिया घराना सत्ता की मलाई खाए और जब कोई सत्ता जांच पड़ताल कराए तो लोकतंत्र और पत्रकारिता की दुहाई दी जाए। आज शायद ही कोई मीडिया घराना होगा, जो देश सेवा के लिए पत्राकारिता को एक मिशन के तौर पर कर रहा है। सभी घरानों का व्यवसायिक दृष्टिकोण रहता है। जब व्यवसायिक दृष्टिकोण है तो फिर मीडिया को समाज में अलग क्यों माना जाए। जिस प्रकार साबुन अथवा तेल बनाने वाली कोई कम्पनी काम करती है, उसी प्रकार मीडिया भी अब कमाई का उद्देश्य लेकर चलता है। मीडिया घरानों को अब यह भी समझना चाहिए कि आने वाला समय सोशल मीडिया का है और जिस व्यक्ति के पास मोबाइल फोन है, वह स्वयं पत्रकार है। व्हाट्सएप और फेसबुक के माध्यम से तो खबरों का आदान-प्रदान बहुत तेजी से और अधिक संख्या में हो रहा है।

Saturday, June 3, 2017

क्या हम इस लिए मुसलमान बने थे

मुसलमान के नाम से जो कौम इस वक्त मौजूद है वह खुद भी इस हकीकत को भूल गई है और इसके आचार-व्यवहार ने दुनिया को भी यह बात भुला दी है कि इस्लाम एक आंदोलन का नाम है जो दुनिया में एक उद्देश्य और कुछ सिद्धांत लेकर उठा था और मुसलमान उस जमाअत का नाम रखा गया था जो इस आंदोलन को चलाने के लिए बनाई गई थी। आंदोलन गुम हो गया है, उसका उद्देश्य भुला दिया गया है, उसके सिद्धांतो को एक-एक कर के तोड़ा गया है और उसका नाम अपना मतलब खो देने के बाद सिर्फ एक मुस्लिम कौमियत के नाम से इस्तेमाल किया जा रहा है। हद यह है कि उन जगहों पर भी इस्तेमाल किया जाता है जहां इस्लाम की बजाए गैर-इस्लाम होता है।
        समाज में जाइए, आपकी मुलाकात मुसलमान शराबियों से होगी, दफ्तर में जाइए, मुसलमान-रिश्वतखोर, अदालत में जाइए, झूठ की गवाही, जालसाजी, फरेब, जुल्म और हर किस्म के नैतिक अपराधों के साथ-साथ मुसलमान शब्द का जोड़ लगा हुआ पाएंगे। जरा गौर तो कीजिए, यह मुसलमान शब्द कितना ज़लील कर दिया गया है! मुसलमान और शराबी! मुसलमान और रिश्वतखोरी! अगर यह सब कुछ एक मुसलमान भी करने लगे तो मुसलमान के अस्तित्व की इस दुनिया में जरुरत ही क्या है?
        इस्लाम तो नाम ही उस आंदोलन का था, जो इन बुराइयों को मिटाने के लिए उठा था। उसने तो मुसलमानों के नाम से चुने हुए लोगों की एक जमाअत बनाई थी, जो खुद उच्च स्तर के लोग थे और समाज सुधार के अलंबरदार थे। उसने अपनी जमाअत में हाथ काटने की, पत्थर मारने की, कोड़े बरसाने की सजाएं इसीलिए तो तय की थीं कि जो जमाअत दुनिया से चोरी, व्यभिचार, बलात्कार आदि को मिटाने के लिए उठी है, खुद उसमें कोई सदस्य ऐसा ना पाया जाए। जिसका काम शराब और चोरी को ख़त्म करना हो उसमें कोई शराबी और चोर ना हो। उसका तो मकसद ही यह था कि जिन लोगों को दुनिया का सुधार करना है वह दुनिया भर से ज्यादा सूचरित्र, उच्च स्तरीय और स्वाभिमानी लोग हों।
        जिस इस्लाम ने ऐसे कड़े अनुशासन के साथ अपना आंदोलन उठाया था और जिसने अपनी जमाअत में छांट-छांट कर सिर्फ उच्च नैतिक स्तर के लोगों को भर्ती किया था, उसकी रुसवाई इससे बढ़कर और क्या हो सकती है कि चोर और शराबी के साथ मुसलमान नाम का जोड़ लग जाए। क्या इस तरह से बेइज्जत होने के बाद भी इस्लाम और मुसलमान की यह अहमियत बाकी रह सकती है कि सर इसके आगे श्रद्धा से झुक जाएं?
        हमारे पढ़े-लिखे तबके की हालत भी कुछ अच्छी नहीं है। सूद का पैसा खाना, जकात न देना, नमाज-रोज से लापरवाही बरतना वगैहरा, इनके लिए जाएज़ हो चुकी है। अपनी जिंदगी के किसी मामले में भी इनको यह मालूम करने की परवाह नहीं होती कि खुदा का कानून इसके बारे में क्या कहता है। यानी कि निचले स्तर से लेकर ऊपर के स्तर तक, आप इस नाम के मुस्लिम समाज का जायज़ा लें तो इसमें आपको भांति-भांति के मुसलमान नजर आएंगे। यह एक चिड़ियाघर है जिसमें हर किस्म के जानवर इकट्ठा कर लिए गए हैं।
        मुसलमानों की जिंदगी के अलग-अलग पहलुओं से यह कुछ मिसालें जो मैंने पेश की हैं, यह सब एक ही नतीजे की तरफ इशारा कर रही हैं कि इस्लामी आंदोलन इस वक्त अपने पतन के आखिरी दौर में पहुंच चुका है। जहां एक आंदोलन की आत्मा मर जाती है, सिर्फ उसका नाम बाकी रह जाता है।
        मेरे दिल ने बार-बार यह सवाल किया कि इस्लाम, जो कभी आंधी और तूफान की तरह उठा था, जिसके सामने दुनिया की कोई ताकत न ठहर सकी, आज इसकी ताकत किस चीज ने छीन ली? इसका जवाब हर बार मुझे यही मिला कि इस्लामी आंदोलन पर पतन का वही कानून लागू हुआ जिसका मैं ऊपर जिक्र कर चुका हूं। अब सुधार की कोशिश इसके सिवा कुछ नहीं कि इस्लाम को फिर से एक आंदोलन की हैसियत से उठाया जाए और मुसलमान के मायने को फिर से ताज़ा किया जाए। मुर्दों की इस बस्ती में जो थोड़े बहुत मुस्लिम दिल अभी धड़क रहे हैं, उनको जान लेना चाहिए कि अब करने का काम यही है।