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Saturday, May 27, 2017

औरते और रमजान।

औरत बेचारी सबसे पहले उठे सहरी बनाये सबसे आखिर में खाये। फिर रोज़ा रखे दोपहर में बच्चों के लिए पकाये, फिर चार बज़े से अपने शौहर और ससुराल वालों के लिए इफ्तारी बनाने के लिए जुट जाती है। पकौड़े,  पौड़ी, चिकन, चने और ना जाने क्या क्या और फिर भी यही टेन्शन की पता नहीं शौहर ,बाप या ससुर को पसंद आते हैं या नहीं, शौहर का ग़ुस्सा अफ्तारी से पहले बर्दाश्त करे, फिर अज़ान के वक़्त तक पकौड़े तलती रहे की मियां को बासी पकौड़े पसंद नहीं। सब रोज़ा खोल लें तो वह चुपके से आ कर रोज़ा खोल लेती है। और तमाम घर वालों को पूरी अफ्तारी खिलाने और शर्बत पिलाने की खातिर दारी करती रहती है, और कोई इफ्तारी ऐसी नहीं होती जिसमें कोई उसकी तारीफ कर दे, बल्कि पकौड़े और शर्बत में तो हमेशा शिकायत ही मिलती है, शौहर, भाई, अब्बा इफ्तारी में रोटी सालन खा कर दिन का खाना खत्म नहीं करती है, बल्कि तराविह के बाद असल खाना खाया जाता है, फिर यह औरत तमाम दस्तरख्वांन समेट कर अगले खाने की तैयारी करने लगती है, सारे घर का काम खत्म करके आधी रात हो जाती है, ओह हाँ उसे सुबह तीन बज़े उठना भी तो है, अलार्म याद से रखना होगा वरना अगर आँख नहीं खुली और घर वालों का बगैर सहरी का रोज़ा हो गया तो, सारा दिन उसे घर वालों का गुस्सा बर्दाश्त करना होगा।

गुज़ारिश है  मुसलमान बनो अबकी बार घर की ख्वातीन जो भी रिश्ता है माँ , बहन , बीबी या बेटी उनका भी रमजान में खयाल रखें, क्यू की वह भी आप ही की तरह इंसान है।
#आप_सभी_घर_की_ओरतो_ख्याल_रखे_और_खुद_भी_नेकिया_भलाई_फलाः_कामयाबी_हासिल_कर ले और घर की ओरतो को भी  इस बाबरकत महीने में कमाई करने दे नेकियों की
ओरत ही रोनक  ओरत ही बहार ह  इज़्ज़त करो उनके हक़ का सम्मान दो अल्लाह आपको सम्मान देगा  आप मोहब्बत  तो करो वो बेगररज  मोहब्बत देगी  जान  लगा देगी.

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