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Thursday, May 16, 2019

तालीम के लिए ये ज़रूरी है

अगर हम अपने दूसरे अल्पसंख्यक भाई जैसे सरदार, जैन और ईसाईयो की तरफ़ देखें तो पाएंगे की उन्होंने अपने हर तरफ़ स्कूल और कॉलेज खोल रखे हैं ।

फिर क्या वजह है मुसलमानो के इलाक़ों में ना तो अपने अच्छे स्कूल हैं और ना कॉलेज और ना अस्पताल।

*सवाल 1: मुसलमानो के पास ज़मीन नही जिससे स्कूल कॉलेज और अस्पताल खोले जा सकें ।*

उत्तर : पूरे भारत में रेलवे और DRDO के बाद वक़्फ़ के पास सबसे ज़्यादा ज़मीन है । लेकिन उसी वक़्फ़ की ज़मीन को हमारे मुसलमान नेता कोड़ियों के भाव बेचकर खा रहे हैं ।

*सवाल 2: मुसलमानो के पास पैसे नहीं हैं स्कूल खोलने के लिए ।*

जवाब : पूरे भारत में एक साल में क़रीब 40 हज़ार करोड़ ज़कात इकट्ठी होती है क्या आप हिसाब मांगते हैं जिसको अपनी ज़कात देतें हैं कि उसने कहा ख़र्च की ? सोचिये अगर एक ज़िले में उसका एक हज़ार करोड़ भी ख़र्च हो जाए तो कितने मदरसे,अस्पताल और स्कूल खुल जाएंगे ।

*सवाल 3: जब वक़्फ़ बोर्ड के पास इतनी ज़मीन है तो वक़्फ़ बोर्ड अस्पताल या स्कूल क्यों नही खोलता जिस इलाक़े में मुसलमान पिछड़े हुए हैं ?*

जवाब : जिस तरह हरयाणा वक़्फ़ बोर्ड ने Mewat Engineering College खोला और उसको ख़ुद चला रहा है ठीक उसी तरह बाक़ी राज्यों के वक़्फ़ बोर्ड मुस्लिम इलाक़ों में स्कूल कॉलेज खोलकर उनको ख़ुद चला सकते हैं मगर ऐसा नही हो रहा।उनको अपने वजूद का ख़तरा महसूस होता है।

इसके लिए सरकार या अपने नेताओं के भरोसे बैठने की बजाए हम लोगों को ख़ुद पहल करनी होगी। अगर हम लोगो ने अपने तालीमी इदारे क़ायम नही किये तो हमारी आने वाली पीढ़ियां मज़दूरी करेंगी।

रउफ अहमद सिद्दीकी
संपादक
जनता की खोज

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