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Tuesday, February 20, 2018

अद्भुत है इंसान का शरीर

*(क्यों हैरान करता है इंसान का शरीर, वैज्ञानिकों को)*
अद्भुत है इंसान का शरीर

*जबरदस्त फेफड़े*
हमारे फेफड़े हर दिन 20 लाख लीटर हवा को फिल्टर करते हैं. हमें इस बात की भनक भी नहीं लगती. फेफड़ों को अगर खींचा जाए तो यह टेनिस कोर्ट के एक हिस्से को ढंक देंगे.

*ऐसी और कोई फैक्ट्री नहीं*
हमारा शरीर हर सेकंड 2.5 करोड़ नई कोशिकाएं बनाता है. साथ ही, हर दिन 200 अरब से ज्यादा रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है. हर वक्त शरीर में 2500 अरब रक्त कोशिकाएं मौजूद होती हैं. एक बूंद खून में 25 करोड़ कोशिकाएं होती हैं.

*लाखों किलोमीटर की यात्रा*
इंसान का खून हर दिन शरीर में 1,92,000 किलोमीटर का सफर करता है. हमारे शरीर में औसतन 5.6 लीटर खून होता है जो हर 20 सेकेंड में एक बार पूरे शरीर में चक्कर काट लेता है.

*धड़कन, धड़कन*
एक स्वस्थ इंसान का हृदय हर दिन 1,00,000 बार धड़कता है. साल भर में यह 3 करोड़ से ज्यादा बार धड़क चुका होता है. दिल का पम्पिंग प्रेशर इतना तेज होता है कि वह खून को 30 फुट ऊपर उछाल सकता है.

*सारे कैमरे और दूरबीनें फेल*
इंसान की आंख एक करोड़ रंगों में बारीक से बारीक अंतर पहचान सकती है. फिलहाल दुनिया में ऐसी कोई मशीन नहीं है जो इसका मुकाबला कर सके.

*नाक में एंयर कंडीशनर*
हमारी नाक में प्राकृतिक एयर कंडीशनर होता है. यह गर्म हवा को ठंडा और ठंडी हवा को गर्म कर फेफड़ों तक पहुंचाता है.

*400 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार*
तंत्रिका तंत्र 400 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से शरीर के बाकी हिस्सों तक जरूरी निर्देश पहुंचाता है. इंसानी मस्तिष्क में 100 अरब से ज्यादा तंत्रिका कोशिकाएं होती हैं.

*जबरदस्त मिश्रण*
शरीर में 70 फीसदी पानी होता है. इसके अलावा बड़ी मात्रा में कार्बन, जिंक, कोबाल्ट, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फेट, निकिल और सिलिकॉन होता है.

*बेजोड़ झींक*
झींकते समय बाहर निकले वाली हवा की रफ्तार 166 से 300 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है. आंखें खोलकर झींक मारना नामुमकिन है.

*बैक्टीरिया का गोदाम*
इंसान के वजन का 10 फीसदी हिस्सा, शरीर में मौजूद बैक्टीरिया की वजह से होता है. एक वर्ग इंच त्वचा में 3.2 करोड़ बैक्टीरिया होते हैं.

*ईएनटी की विचित्र दुनिया*
आंखें बचपन में ही पूरी तरह विकसित हो जाती हैं. बाद में उनमें कोई विकास नहीं होता. वहीं नाक और कान पूरी जिंदगी विकसित होते रहते हैं. कान लाखों आवाजों में अंतर पहचान सकते हैं. कान 1,000 से 50,000 हर्ट्ज के बीच की ध्वनि तरंगे सुनते हैं.

*दांत संभाल के*
इंसान के दांत चट्टान की तरह मजबूत होते हैं. लेकिन शरीर के दूसरे हिस्से अपनी मरम्मत खुद कर लेते हैं, वहीं दांत बीमार होने पर खुद को दुरुस्त नहीं कर पाते.

*मुंह में नमी*
इंसान के मुंह में हर दिन 1.7 लीटर लार बनती है. लार खाने को पचाने के साथ ही जीभ में मौजूद 10,000 से ज्यादा स्वाद ग्रंथियों को नम बनाए रखती है.

*झपकती पलकें*
वैज्ञानिकों को लगता है कि पलकें आंखों से पसीना बाहर निकालने और उनमें नमी बनाए रखने के लिए झपकती है. महिलाएं पुरुषों की तुलना में दोगुनी बार पलके झपकती हैं.

*नाखून भी कमाल के*
अंगूठे का नाखून सबसे धीमी रफ्तार से बढ़ता है. वहीं मध्यमा या मिडिल फिंगर का नाखून सबसे तेजी से बढ़ता है.

*तेज रफ्तार दाढ़ी*
पुरुषों में दाढ़ी के बाल सबसे तेजी से बढ़ते हैं. अगर कोई शख्स पूरी जिंदगी शेविंग न करे तो दाढ़ी 30 फुट लंबी हो सकती है.

*खाने का अंबार*
एक इंसान आम तौर पर जिंदगी के पांच साल खाना खाने में गुजार देता है. हम ताउम्र अपने वजन से 7,000 गुना ज्यादा भोजन खा चुके होते हैं.

*बाल गिरने से परेशान*
एक स्वस्थ इंसान के सिर से हर दिन 80 बाल झड़ते हैं.

*सपनों की दुनिया*
इंसान दुनिया में आने से पहले ही यानी मां के गर्भ में ही सपने देखना शुरू कर देता है. बच्चे का विकास वसंत में तेजी से होता है.

*नींद का महत्व*
नींद के दौरान इंसान की ऊर्जा जलती है. दिमाग अहम सूचनाओं को स्टोर करता है. शरीर को आराम मिलता है और रिपेयरिंग का काम भी होता है. नींद के ही दौरान शारीरिक विकास के लिए जिम्मेदार हार्मोन्स निकलते हैं.

Monday, February 19, 2018

भारत छोड़ो नये अंदाज़ में

अभी हाल ही में दक्षिण अफ़्रीका की एक मार्केटिंग एजेन्सी न्यू वेल्थ वर्ल्ड के टी वी चैनल ने दावा किया है कि भारत के  20,000 (डालरों में गिने जाने वाले) करोड़पतियों में से 17,000 पिछले दो तीन साल में भारत छोड़ कर अपना व्यापार विदेशों में समेट कर ले गये हैं  ।यह अतिशयोक्ति भी हो सकती है किन्तु हमारे समाचार पत्र भी 7000 करोड़पतियों के पलायन की बात कर रहे हैं ।ये सब के सब कर्ज लेकर भाग जाने वाले लोग नहीं हैं ।यदि इतने बड़े पैमाने पर पूँजी का पलायन हो रहा है तो यह निश्चय ही देश पर मँडराते हुए किसी गंभीर संकट का पूर्व संकेत है ।यदि सचमुच यहाँ पर ईज़ आफ़ डूइंग बिज़नेस के हालात हैं तो इस पलायन की जरूरत क्यों पड़ी  ? इससे मन में अनेक शंकाएँ पैदा होती हैं  ।जब देश के अपने ही व्यापारी परिस्थितियों को प्रतिकूल पा रहे हैं तो विदेशी निवेशक किन कारणों से प्रेरित होंगे ?हम एफ़ डी आई को प्रोत्साहन देकर कहीं फिर से "ईस्ट इंडिया कंपनी "को दावत तो नहीं दे रहे हैं ?वह तो खुशी से दौड़े चले आयेंगे । क्या इसी को फ़िशिंग इन ट्रबल्ड वाटर्स नहीं कहा जाता है ?

एक ओर हमारी बैंकिंग व्यवस्था विनाश के कगार पर जा पहुँची है ।दूसरी ओर जो पूँजी इस देश में लगकर विकास को गति प्रदान करती वह पूँजी अब विदेशों में इस्तेमाल हो रही है ।हम  कैशलेस होने चले थे पर कैपिटल लैस होते जा रहे हैं  ।किसी ने जोक लिखा था कि यदि अडानी भी विदेश चला गया तो  ?  यह कैसा मज़ाक है  ? कुछ तो बात है कि व्यापारी वर्ग यहाँ के हालात में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है ।हम लोग रात दिन गोरक्षा , हनी प्रीत ,पद्मावत,   लव जिहाद, तीन तलाक, मंदिर मस्जिद , एंटी रोमियो  जैसे मसलों में उलझे पड़े हैं और उधर एक भयावह संकट बड़ी खामोशी से देश पर अपना शिकंजा कसता चला जा रहा है ।

जब देश का बटवारा हो रहा था तब भी कुछ लोग अपनी जान और माल की हिफ़ाजत करते हुए दबे पाँव वहाँ से पलायन कर गये थे ।हिटलर के समय जर्मनी में भी जो यहूदी समय रहते पलायन कर सकते थे वह खिसक लिये थे ।मुसीबत तो उनपर आती है जिनके पैरों में भागने की ताकत नहीं होती ।

हम जैसे मध्यम वर्ग के लोग इन समाचारों  को सुनकर दहशत महसूस कर रहे हैं कि नोट बन्दी की तरह फिर से बैंकों को राहत देने के लिये हमारे वेतन और पेन्शनें बैंक की सुविधा से एक एक हजार रुपये प्रति सप्ताह  के हिसाब से न बँटने लगें ।हमने अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिये जो रकम फ़िक्स डिपाज़िट में डाल रखी थी उसपर ब्याज तो पहले ही एक तिहाई कम हो गया था अब कहीं वह डिपाज़िट ही  न जब्त  हो जाये। हो सकता है कि वह  इसी शर्त पर वापस मिले कि जब बैंकों का घाटा पूरा होगा तो आप उसे निकाल सकते हैं ।पर यह बैंकों का घाटा तो सुरसा के मुँह की तरह फैलता ही जा रहा है ।यह न जाने कब पूरा होगा और कैसे पूरा होगा ? पूँजीपति तो अपनी पूँजी समेट कर चल दिये ।अब हमारे अलावा बचा कौन ? हम जैसों को सुरक्षा कौन देगा  ? हम किस पर भरोसा करें  ?

Tuesday, February 13, 2018

दारूल उलूम का फतवा गैर मर्द से चूड़ी पहनना नाज़ायज़


_चूड़ियां सुहागन महिलाओं की पहचान मानी जाती हैं और महिलाओं को नए-नए डिजाइनों की चूड़ियां पहनने का शोक होता है, लेकिन महिलाओं द्वारा बाजारों में जाकर नामहरम (जिन से खून का रिश्ता न हो) मर्दों से चूड़ियां पहनने को दारुल उलूम देवबंद नाजायज करार दिया है।_ _ताजा फतवे में दारुल उलूम देवबंद ने कहा है कि ऐसा करना सख्त गुनाह है।_
_देवबंद के ही मोहल्ला बड़जियाउलहक निवासी एक व्यक्ति ने दारुल उलूम के इफ्ता विभाग से लिखित सवाल में पूछा था। कि हमारे यहां आमतौर पर चूड़ियां बेचने व पहनाने का काम मनीहार बिरादरी से संबंध रखने वाले लोग करते हैं। औरतों को चूड़ियां पहनने के लिए घर से निकलना पड़ता है और अपने हाथ गैर मर्दों के हाथों मे देने पड़ते हैं। क्या इस तरह घर से निकलकर या घर में रहकर औरतों का गैर मर्दों से चूड़ी पहनना जायज है। इस पर दारुल उलूम देवबंद के मुफ्तियों की खंडपीठ ने जवाब देते हुए कहा है कि नामहरम मर्द का अजनबी औरतों को चूड़ी पहनाना नाजायज और गुनाह है।_
_औरतों का नामहरम मर्दों से चूड़ी पहनने के लिए बाहर निकलना भी मना है। और गैर मर्दों से चूड़ियां पहनना नाजायज व सख्त गुनाह है। ऐसे गुनाह से बचना और तौबा करना वाजिब है। तंजीम अब्नाए दारुल उलूम के अध्यक्ष मुफ्ती यादे इलाही कासमी ने दारुल उलूम द्वारा जारी फतवे को पूरी तरह सही बताते हुए कहा है कि इस्लाम ने औरतों को गैर मर्दों से पर्दा करने का हुक्म दिया है। इसलिए मुसलमान औरतों को चाहिए कि या तो वे चूड़ियां किसी औरत के हाथ से पहने या फिर अपने हाथों से चूड़ियां पहनने की आदत डालें।_
_दारुल उलूम देवबंद के फतवे पर मुफ्ती तारिक कासमी ने कहा कि कुरान और हदीस की रौशनी में दारूल उलूम ने फतवा दिया है। इस्लाम में किसी अजनबी औरत को अजनबी मर्द के सामने बेपर्दा होना या एक दूसरे को छूना गलत है चूड़ियों के मामले में औरतें अजनबी मर्दों की दुकानों पर चूड़ियां खरीदने जाती हैं। उनको हाथों में चूड़ियां पहनने के लिए अपने हाथ को गैर मर्द के हाथों में देना पड़ता है, जिस वजह से उनके हाथों पर गैर मर्द के हाथ लगते हैं। यह गलत है इससे मुस्लिम महिलाओं को बचना चाहिए। इस्लाम में यह नाजायज है। इस्लाम चूड़ियां पहनने से मना नहीं करता औरतें चूड़ियां खरीदकर अपने घर आकर खुद पहने या किसी महिला से पहने। मुस्लिम महिलाओं को शरीयत का ध्यान रखना चाहिए।_

Monday, February 12, 2018

किस डे। प्यार का अहसास

आज किस डे है। ऐसा दिन जि‍सके बारे में सुनकर ही शायद प्रेमि‍यों की धड़कने बढ़ जाएं। कि‍स भी एक तरह का लव एक्‍सप्रेशन है। वैसे तो कि‍स करने के लि‍ए कि‍सी डे की जरूरत नहीं है लेकि‍न इस डे प्रथा के जमाने में जब हर एहसास और हर रि‍श्ते के नाम एक दि‍न कर दि‍या गया है तो भला कि‍स को क्‍यों एक्‍सेप्‍शन बनाया जाए। हर प्रेमी-प्रेमिका अपने साथी को किस करना चाहते हैं और लगभग हर बार उन्हें अपने साथी को किस करने के लिए थोड़ी-बहुत हिचकिचाहट और कुछ ना-नुकुर का सामना करना पड़ता है। यदि प्रेमी-प्रेमिका पहली बार एक-दूसरे का कि‍स कर रहे हों तो दोनों का हड़बड़ाना स्वाभाविक है। वे तय नहीं कर पाते कि बातों ही बातों में कैसे कि‍स लिया जाए। पहली बार अपने साथी को किस करना सचमुच ही चुनौतीपूर्ण है क्योंकि अक्सर पहली बार कि‍स करते समय अपने साथी के रि‍एक्‍शन के बारे में कुछ पता नहीं होता। अक्सर हम फिल्मों में कि‍स दृश्य देखते हैं लेकिन उनके तरीके के सही होने में संदेह है। यह बात महत्वपूर्ण नहीं है कि आप पहली बार किस कर रहे हैं या कई बार कर चुके हैं। यहां पर महत्वपूर्ण यह है कि क्या आप दिलकश किस कर पाते हैं जो आपके दिल की धड़कन को बढ़ा दे और आपके साथी को आपके बारे में दिन-रात सोचने पर मजबूर कर दे। पहला किस आपके रोमांस संबंध की नींव होता है इसे प्रभावी और यादगार बनाने के लिए आज किस डे पर बेफिक्र होकर अपनी प्रेमिका को अपने आगोश में लेकर किस कर सकते हैं। जब प्रेमी मुलाकात खत्म करके अपने-अपने गंतव्य की ओर जा रहे हों तो किस करने का बेहतरीन समय होता है इसे गुडबाय किस कहते हैं। पहली बार किस करने का इससे बेहतर बहाना दूसरा और कोई नहीं हो सकता। यदि आप पहला किस पहली मुलाकात में ही कर रहे हैं तो यह इस बात का संकेत है कि आपने अपने साथी के साथ मुलाकात का भरपूर मजा लिया। यदि आपने दो-तीन मुलाकातों के बाद भी अपने साथी को किस नहीं किया है तो वह सोचेगा कि आप उसमें बिलकुल भी दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। किस करने में अमूमन प्रेमिकाएं पहल नहीं करतीं लेकिन वे अपने हाव-भाव से किस करने का निमंत्रण जरूर देती हैं जिसे प्रेमी को समझना आवश्यक है। जैसे यदि प्रेमिका कुछ अधिक आई कॉन्‍टेक्‍ट बनाए सटकर बैठे और बार-बार अकारण ही आपको छू ले तो समझ लीजिए कि वह किस चाहती है। किस आपके साथी के प्रति आपके व्यवहार और भावनाओं का प्रतीक होता है इसलिए पहला किस जितना सौम्य हो उतना ही आपके संबंधों में निखार आएगा। पहले किस के दौरान ड्राई किस किया जाए तो बेहतर होगा इसके अलावा बंद मुंह से बिना जीभ टच कि‍ए किस करने से यह मैसेज जाता है कि आप अपने साथी की बहुत परवाह करते हैं। पहला किस सिर्फ कुछ क्षणों का होना चाहिए वैसे इसका कोई निश्चित समय तय नहीं है। जब आपके होंठ आपके साथी के होंठ को स्पर्श कर जाएं तो कुछ सेकंड बाद आहिस्ता अपने होंठ अलग कर लें। किस के दौरान यदि आपको यह अहसास हो कि सामान्य से अधिक समय बीत चुका है और अब भी आप का साथी किस को जारी रखे हुए है तो आपको कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। अगर आपने अब तक भी अपने प्यार को पहला किस नहीं किया है तो अब भी समय है कि आप उनको रूमानी किस कर उनको अपना बना लें। सुनहरा मौका है।

रउफ अहमद सिद्दीकी नोएडा

नज़रिया

अमेरिका मे जब एक कैदी को फॉसी की सजा सुनाई गई तो वहॉ के कुछ बैज्ञानिकों ने सोचा कि क्यों न इस कैदी पर कुछ प्रयोग किया जाय ! तब कैदी को बताया गया कि हम तुम्हें फॉसी देकर नहीं परन्तु जहरीला कोबरा सॉप डसाकर मारेगें !
और उसके सामने बड़ा सा जहरीला सॉप ले आने के बाद कैदी की ऑखे बंद करके कुर्सी से बॉधा गया और उसको सॉप नहीं बल्कि दो सेफ्टी पिन्स चुभाई गई !
और क्या हुआ कैदी की कुछ सेकेन्ड मे ही मौत हो गई, पोस्टमार्डम के बाद पाया गया कि कैदी के शरीर मे सॉप के जहर के समान ही जहर है ।
अब ये जहर कहॉ से आया जिसने उस कैदी की जान ले ली ......वो जहर उसके खुद शरीर ने ही सदमे मे उत्पन्न किया था । हमारे हर संकल्प से पाजिटीव एवं निगेटीव एनर्जी उत्पन्न होती है और वो हमारे शरीर मे उस अनुसार hormones उत्पन्न करती है ।
75% वीमारियों का मूल कारण नकारात्मक सोंच से उत्पन्न ऊर्जा ही है ।
आज इंसान ही अपनी गलत सोंच से भस्मासुर बन खुद का विनाश कर रहा है ......
अपनी सोंच सदैव सकारात्मक रखें और खुश रहें
25 साल की उम्र तक हमें परवाह नहीँ होती कि "लोग क्या सोचेंगे ? ?
50 साल की उम्र तक इसी डर में जीते हैं कि " लोग क्या सोचेंगे ! !
50 साल के बाद पता चलता है कि
हमारे बारे में कोई सोच ही नहीँ रहा था ! !

Tuesday, February 6, 2018

मां बाप से बुरा सुलूक ख़ुदा की ना

शादी की पहली रात थी दूल्हा खाने का बड़ा सा थाल हाथ में लिय़े कमरे में दाखिल हूआ खाने से बहुत उम्दा खुशबू आ रही थी कहने लगा आओ खाना खाते हे

बीवी बोली मेने देखा तुमहारी अम्मी ने भी खाना नही खाया हे उनको भी बुला लो फ़िर मिलकर खाते हे

शौहर कहने लगा वह सो गई होगी छोड़ो हम दोनो खाते हे बीवी क़े कई बार इसरार क़े बाद भी शौहर अम्मी को बुलाने नही गया

जब उसने शौहर का ये रवेय्या देखा तो तलाक का मुतालबा कर दिया तो वह हेरान हो गया ओर तलाक हो गया

दोनो अलग अलग हो गये ओर दोनो ने दूसरी शादिया करली 30 साल गुजर गये उस औरत क़े तीन बेटे हुये बहुत मुहब्बत करने वाले बहुत आसुदा हाल थी वह

उसने तीनो बेटों क़े साथ हज करने का इरादा किया तो सफर क़े दौरान बेटे माँ क़े साथ इस तरह पेश आ रहे थे जसे कोइ मलका हो
रास्ते में एक आदमी पर नज़र पड़ी बहुत बुरी हालत में भूखा प्यासा पुराने कपड़े निढाल बेठा था किसी क़े जरिये वह भी हज क़े मुक़द्दस सफर पर भेजा गया था

औरत ने अपने बेटोँ से उसे उठाकर हाथ मुँह धुलाकर खाना खिलाने को कहा वह पेहचान गई थी ये उस्का पहला शौहर हे (था)
वह कहने लगी ये वक़्त ने तुम्हारे साथ क्या किया जवाब मिला' मेरे बच्चो ने मेरे साथ भलाई नही की' औरत कहने लगी वह क्यु करती भलाई तुमने भी तो अपने वालिदैन क़े साथ बुरा सुलूक किया था में उस दिन जान गई थी की तुम माँ बाप क़े हुकूक अदा नही करते इसलिए में डर गई थी कल को मेरे साथ भी ऐसा ही होगा

देखो आज में कहाँ हूँ ओर तुम कहाँ हो.

माँ बाप क़े साथ बुरा सुलूक अल्लाह की नाफ़रमानी हे, जिस किस्म का बुढापा हम गुजारना चाहते हे वेसा ही माँ बाप का बुढापा गुजरने में मदद करनी चाहिये क्यूँकि ये ऐसा अमल हे जिसका बदला दुनिया में ही दे दिया जाता हे ख्वाह अच्छा हो या बुरा