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Tuesday, November 21, 2017

पुरषो का मान सम्मान

अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस की शुरुआत 1999 में त्रिनिदाद एवं टोबागो से हुई थी. तब से प्रत्येक वर्ष 19 नवम्बर को ”अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस” दुनिया के 30 से अधिक देशों में मनाया जा रहा है.
संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इसे मान्यता देते हुए इसकी आवश्यकता को बल दिया और पुरजोर सराहना एवं सहायता दी है.

कई बार हमारे देश में भी पुरुषों के अधिकारों की रक्षा के लिए आयोग बनाने, मंत्रालय के गठन की आवाजें उठी हैं. लेकिन यह आवाजें जंतर-मंतर से आगे ना जा सकी. यह मांग इसलिए भी उठी कि हमारे देश में महिलाओं-बच्चों, जानवरों, पेड़-पौधों तक के लिए अलग से मंत्रालय, न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) आयोग (कमीशन) और विभिन्न तरह के बोर्ड बने हैं. लेकिन पुरुषों के अधिकारों की बात करने के नाम पर कुछ नहीं हैं. हमारे देश में पुरुषों के अधिकार सामान्य मानावाधिकारों में ही निहित हैं. यहां महिलाओं की तुलना में आत्महत्या करने वालों में पुरुषों का आकंड़ा भी कहीं ज्यादा है.

भारत में महिलाओं के लिए बनाए गए कानूनों का दुरुपयोग इतना ज्यादा है कि इस पर खुद सुप्रीम कोर्ट चिंता जता चुका है. भारत में हर कोई महिलाओं के अधिकारों को लेकर लड़ रहा है लेकिन कोई पुरुषों की इज्ज़त और आत्म-सम्मान के बारे में बात नहीं करता. ऐसे पुरुषों के लिए कानून कहां है, जो महिलाओं द्वारा झूठे केस में फंसा दिये जाते हैं. भारत में दहेज प्रताड़ना के खिलाफ कानून की धारा 498 A को लेकर लगातार बहस होती है. इसी धारा के तहत पुरुषों पर सबसे ज्यादा अत्याचार होता है

रऊफ अहमद सिद्दीकी नोयडा

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