रऊफ अहमद सिददीकी की दुनिया में आपका स्वागत है

Wednesday, September 26, 2018

मां बाप को सोचना होगा

(1) आज काफी लड़कियो के माँ बाप अपनी बेटियो की शादी मे बहूत विलंब कर रहे है ।उनको अपने बराबरी के रिश्ते पसंद नही आते और जो बड़े घर पसंद आते है उनको लड़की पसंद नही आती, शादी की सही उम्र 22 से 25 तक है पर आज के माँ बाप ने और अच्छा करते करते  उम्र 30 से 36 कर दी है जिससे उनकी बेटियो की खूबसूरती भी कम होती जाती है और बड़े लड़के से शादी होने के उपरांत वो लड़का उस लड़की को वो प्यार नही दे पाता जिसकी  हकदार वो लड़की है। समाज मे 30% डिवोर्स की वजह परिवारों  द्वारा यही बताई जा रही है। आज उमर छोटी हो चुकी है पहले की तरह 100+ या 80+ नही होती, अब तो केवल 65+ तक जीने को मिल पायेगा इसी वजह से आज लड़के उमर से पहले ही बूढ़े नजर आते है,सर गंजा हो जाता है।
    (2) आज ज्यादातर लड़की वाले लड़के वालो को वापस हाँ /ना का जवाब नही दे रहे है, संभवत कुछ लोग मंन मे आपको बुरा भला बोलते होंगे आप अपनी लाड़ली का घर बसाने निकले है, किसी का अपमान करना अच्छा नही होता कृपया आप लड़के वालो से सम्मान जनक जरूर बात करे।
     (3) कुंडली जिन्होंने मिला के रिश्ते किये आज उनके भी रिश्ते टूटे है फिर आप लोग क्यो कुंडली का जिक्र कर के रिश्ता ठुकरा देते है इतिहास गवाह है हमारे पूर्वजो जो ने शायद कभी कुंडली नही मिलायी और सकुशल अपनी शादी की 75 वी सालगिरह तक मनाई, आप कुंडली को माध्यम बनाके बच्चों को घर मे बिठा के रखे है उमर बढ़ती जा रही है, आता जाता हर यार दोस्त रिश्तेदार सवाल कर जाता है, कब कर रहे हो शादी आपसे 10 वर्ष कम आयु के लोगो को 8 साल के बच्चे भी हो गए ओर आप 32-35 मे शादी करेंगे तो आपके बच्चों की शादी के वक्त आप अपने ही बच्चों के दादा दादी नजर आएंगे।
   (4) आप घर कैसा भी चयन करे लड़की का भाग्य उसके पैदा होने से पहले ही भगवान ने लिख दिया है, भाग्य मे सुख लिखे है तो अंधेरे घर मे भी रोशनी कर देगी दुख लिखे है तो पैसे वाले भी डूब जाते है।
    (5) अंतिम मे बस इतना ही कहना है कि अपने बच्चों की उम्र बर्बाद ना करे, गयी उम्र लौट कर नही आती दुसरो को देख कर अपने लिए वैसा रिश्ता देखना मूर्खता है आप अपने बच्चों की बढ़ती उम्र के दुख को समझिए रिश्ता वो करिये, जिस लड़के वालो मे लालच ना हो, लड़का संस्कारी हो, जो आपकी बेटी को प्यार करे, उसकी इज्जत करे, उम्र बहूत छोटी है आप इतने जमीन जायदाद देख कर क्या कर लेंगे कौन अपने साथ एक तिनका भी ले जा पाया है। बच्चों की बाकी उम्र उनके जीवन साथी के साथ जीने दीजिये समय बहुत बलवान है आज की लडकिया पढ़ी लिखी है वो अपने परिवार के साथ कुछ अच्छा तो कर ही सकती है।

Monday, September 17, 2018

भिखारियों की गिनती में आ चुके मुसलमान


सोशल मीडिया पर आठ सालों में कई अनुभव हुए हैं, उनमे एक अनुभव ये भी हुआ है कि इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद मुसलमानो की बड़ी तादाद अभी भी एक महदूद दायरे में चक्कर काट रही है, तालीम की बात की जाये तो उन्हें मदरसों पर खतरा मंडराता नज़र आने लगता है, कईयों को दुनियावी तालीम बदकारी और मज़हब से दूर ले जाने वाली बुराई लगती है, उस पर अगर मुस्लिम औरतों की तालीम की बात की जाये तो हज़ार तर्कों के साथ ना नुकुर और अगर मगर वालों की भीड़ आ खड़ी होती है !

इतिहास में पीछे जाकर देखे तो पता चलता है कि मुसलमानों ने इस्‍लाम और इस्‍लामी नज़रिये का गहरा मुताला किया, वो तालीम के बारे में बिल्‍कुल साफ नज़रिया रखते थे, तालीम ही उनके नज़रियें को विस्‍तार देती थी, जिससे उनकी अक़ली (बौद्धिक) कुव्‍वत बढ़ जाती थी, और उन्‍हे दूसरों का टीचर (अध्‍यापक) बनाती थी ! इसका नतीजा ये हुआ कि वो अपने वक़्त की सुपरपावर बन गऐ जिन्‍होंने ने साइंस और तालीम के क्षेत्र में बहुत बडी़ तादाद में योगदान दिया !

मगर आज का मुसलमान तालीम से दूर होता जा रहा है, उसकी प्राथमिकताओं में तालीम शायद सबसे निचले पायदान पर है, एक बार कहीं पढ़ा था कि "मुसलमानों को कभी कोई युनिवर्सिटी, स्कूल या कॉलेज माँगते हुए नहीं देखा, कभी न ही वो अपने इलाक़े में अस्पताल के लिए आंदोलन चलाते हैं और न ही बिजली पानी के लिए, उन्हें चाहिए तो बस एक चीज़. लाउडस्पीकर पर मस्जिद से अज़ान देने की इजाज़त, ये इजाज़त छीन लेने भर की खबर पर सड़कों पर निकल आते हैं !!"

मैंने एक बार मौलाना डॉ. कल्बे सादिक साहब के बयान वाली एक पोस्ट शेयर की थी जिसमें उन्होंने  कहा कि "मस्जिदों और इमामबाड़ों में ग्रेनाइट चमकाने से कौम की तरक्की नहीं होने वाली। इससे बेहतर है कि स्कूल और कॉलेजों को बढ़ावा दिया जाए !" इस पोस्ट पर भी मुसलमानो ने जमकर लठैती की थी, उनका इस बयान पर नजरिया एक तरफ़ा था, कल्बे सादिक साहब का कहने का मतलब यही था कि भले ही मस्जिदों और इमामबाड़ों को ग्रेनाइट से चमकाईये मगर साथ ही तालीम को प्राथमिकता के तौर पर लिया जाना चाहिए, आगे बढ़ने और तरक़्क़ी करने के लिए तालीम ही एक ज़रिया है ! स्कूल-कॉलेज भी बनाएं ताकि कौम के साथ सबको इसका लाभ पहुंचे,कौम तरक्की करे और अच्छा समाज बन सके !

मगर अभी भी हमारी प्राथमिकताएं नहीं बदली हैं, ना ही सोच ना ही नज़रिया, ये एक कड़वी सच्चाई है, कल परसों की ही बात है, जैकी चेन को हज कराने के एक फोटो को जानबूझ कर शेयर किया था, और उस फोटो पर मुसलमानो की प्रतिक्रिया सामने रखी थी, और साथ ही एक पोस्ट भारतीय मूल की मुस्लिम औरत हलीमा याकूब के सिंगापुर की राष्ट्रपति बनने की खबर शेयर की थी, मगर प्रतिक्रिया बहुत ही ढंडी थी, जैकी चेन के उस फोटो की दलील इसलिए दे रहा हूँ कि ये और इस जैसी बहुत सी पोस्ट्स , जैसे किसी बड़े गैर मुस्लिम सेलेब्रिटी के इस्लाम क़ुबूल कर लेने की झूठी खबर, चाँद से किसी मस्जिद को देखकर इस्लाम क़ुबूल कर लेने की खबर, और इन झूठी ख़बरों पर तारीफ करते टूट पड़ना, उन्हें हज़ारों की तादाद में शेयर करना, एक बड़ी मिसाल है हमारी प्राथमिकताओं की !

कभी जब तालीम के क्षेत्र में पिछड़ने की बात महसूस होती है तो इस्लामी इतिहास की किताबें खोल कर अतीत की उपलब्धियों का बखान करने लगते हैं, इससे क्या साबित होता है ? यही न कि आपका अतीत सुनहरा था, आपने उसका क्या हाल किया ? ये बताइये कि आपका वर्तमान क्या है, और मुस्तक़बिल के लिए तालीम-ओ-तरक़्क़ी के लिए आप क्या जद्दो जहद कर रहे हो ?

इतिहास की पोटली खोल कर रखने की मनाही नहीं है, नयी नस्ल के लिए ये ज़रूरी भी है, मगर साथ ही वर्तमान में नयी इबारत लिखने की कोशिशें भी जारी रखना चाहिए, तभी मुस्तक़बिल रोशन हो सकेगा, सिर्फ इतिहास की पोटली ही हमें निहाल नहीं करने वाली !

इस बात पर शायर बिरजीस राशिद आरफी साहब का ये शेर याद आ जाता है :-

वो अपनी मुफ़लिसी जब भी छुपाने लगता है !
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तो बाप - दादा के क़िस्से सुनाने लगता है  !!

जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार बताया गया है कि देश के कुल 3.7 लाख भिखारियों में से हर चौथा भिखारी मुसलमान है, यानी प्रतिशत के हिसाब से सबसे बड़ा प्रतिशत मुसलमान भिखारियों का हुआ !

मुल्क में वोटर लिस्ट में मौजूद भीड़ से नहीं बल्कि पढ़ लिख कर ओहदों पर पहुँचने वाली भीड़ के तौर पर गिनती बढ़ाइये

Sunday, September 16, 2018

खुदा का बनाया बहतरीन व अद्धभुत शाहकार है इंसान


*जबरदस्त फेफड़े*
हमारे फेफड़े हर दिन 20 लाख लीटर हवा को फिल्टर करते हैं. हमें इस बात की भनक भी नहीं लगती. फेफड़ों को अगर खींचा जाए तो यह टेनिस कोर्ट के एक हिस्से को ढंक देंगे.

*ऐसी और कोई फैक्ट्री नहीं*
हमारा शरीर हर सेकंड 2.5 करोड़ नई कोशिकाएं बनाता है. साथ ही, हर दिन 200 अरब से ज्यादा रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है. हर वक्त शरीर में 2500 अरब रक्त कोशिकाएं मौजूद होती हैं. एक बूंद खून में 25 करोड़ कोशिकाएं होती हैं.

*लाखों किलोमीटर की यात्रा*
इंसान का खून हर दिन शरीर में 1,92,000 किलोमीटर का सफर करता है. हमारे शरीर में औसतन 5.6 लीटर खून होता है जो हर 20 सेकेंड में एक बार पूरे शरीर में चक्कर काट लेता है.

*धड़कन, धड़कन*
एक स्वस्थ इंसान का हृदय हर दिन 1,00,000 बार धड़कता है. साल भर में यह 3 करोड़ से ज्यादा बार धड़क चुका होता है. दिल का पम्पिंग प्रेशर इतना तेज होता है कि वह खून को 30 फुट ऊपर उछाल सकता है.
*सारे कैमरे और दूरबीनें फेल*
इंसान की आंख एक करोड़ रंगों में बारीक से बारीक अंतर पहचान सकती है. फिलहाल दुनिया में ऐसी कोई मशीन नहीं है जो इसका मुकाबला कर सके.

*नाक में एंयर कंडीशनर*
हमारी नाक में प्राकृतिक एयर कंडीशनर होता है. यह गर्म हवा को ठंडा और ठंडी हवा को गर्म कर फेफड़ों तक पहुंचाता है.

*400 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार*
तंत्रिका तंत्र 400 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से शरीर के बाकी हिस्सों तक जरूरी निर्देश पहुंचाता है. इंसानी मस्तिष्क में 100 अरब से ज्यादा तंत्रिका कोशिकाएं होती हैं.

*जबरदस्त मिश्रण*
शरीर में 70 फीसदी पानी होता है. इसके अलावा बड़ी मात्रा में कार्बन, जिंक, कोबाल्ट, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फेट, निकिल और सिलिकॉन होता है.

*बेजोड़छींक छींकतेसमय बाहर निकले वाली हवा की रफ्तार 166 से 300 किलोमीटर प्रतिघंटा हो सकती है. आंखें खोलकर छींक मारना नामुमकिन है.

*बैक्टीरिया का गोदाम*
इंसान के वजन का 10 फीसदी हिस्सा, शरीर में मौजूद बैक्टीरिया की वजह से होता है. एक वर्ग इंच त्वचा में 3.2 करोड़ बैक्टीरिया होते है
*ईएनटी की विचित्र दुनिया*
आंखें बचपन में ही पूरी तरह विकसित हो जाती हैं. बाद में उनमें कोई विकास नहीं होता. वहीं नाक और कान पूरी जिंदगी विकसित होते रहते हैं. कान लाखों आवाजों में अंतर पहचान सकते हैं. कान 1,000 से 50,000 हर्ट्ज के बीच की ध्वनि तरंगे सुनते हैं.

*दांत संभाल के*
इंसान के दांत चट्टान की तरह मजबूत होते हैं. लेकिन शरीर के दूसरे हिस्से अपनी मरम्मत खुद कर लेते हैं, वहीं दांत बीमार होने पर खुद को दुरुस्त नहीं कर पाते.

*मुंह में नमी*
इंसान के मुंह में हर दिन 1.7 लीटर लार बनती है. लार खाने को पचाने के साथ ही जीभ में मौजूद 10,000 से ज्यादा स्वाद ग्रंथियों को नम बनाए रखती है.

*झपकती पलकें*
वैज्ञानिकों को लगता है कि पलकें आंखों से पसीना बाहर निकालने और उनमें नमी बनाए रखने के लिए झपकती है. महिलाएं पुरुषों की तुलना में दोगुनी बार पलके झपकती हैं.

*नाखून भी कमाल के*
अंगूठे का नाखून सबसे धीमी रफ्तार से बढ़ता है. वहीं मध्यमा या मिडिल फिंगर का नाखून सबसे तेजी से बढ़ता है.

*तेज रफ्तार दाढ़ी*
पुरुषों में दाढ़ी के बाल सबसे तेजी से बढ़ते हैं. अगर कोई शख्स पूरी जिंदगी शेविंग न करे तो दाढ़ी 30 फुट लंबी हो सकती है.

*खाने का अंबार*
एक इंसान आम तौर पर जिंदगी के पांच साल खाना खाने में गुजार देता है. हम ताउम्र अपने वजन से 7,000 गुना ज्यादा भोजन खा चुके होते हैं.

*बाल गिरने से परेशान*
एक स्वस्थ इंसान के सिर से हर दिन 80 बाल झड़ते हैं.

*सपनों की दुनिया*
इंसान दुनिया में आने से पहले ही यानी मां के गर्भ में ही सपने देखना शुरू कर देता है. बच्चे का विकास वसंत में तेजी से होता है.
*नींद का महत्व*
नींद के दौरान इंसान की ऊर्जा जलती है. दिमाग अहम सूचनाओं को स्टोर करता है. शरीर को आराम मिलता है और रिपेयरिंग का काम भी होता है. नींद के ही दौरान शारीरिक विकास के लिए जिम्मेदार हार्मोन्स निकलते हैं.