रऊफ अहमद सिददीकी की दुनिया में आपका स्वागत है

Sunday, January 28, 2018

आदते नस्ल बता देती हैं

एक बादशाह के दरबार मे एक अजनबी नौकरी की तलब के लिए हाज़िर हुआ ।

क़ाबलियत पूछी गई,
कहा, "सियासी हूँ ।" ( अरबी में सियासी अक्ल ओ तदब्बुर से मसला हल करने वाले मामला फ़हम को कहते हैं ।)

बादशाह के पास सियासतदानों की भरमार थी,
उसे खास "घोड़ों के अस्तबल का इंचार्ज" बना लिया।

चंद दिनों बाद बादशाह ने उस से अपने सब से महंगे और अज़ीज़ घोड़े के मुताल्लिक़ पूछा,
उसने कहा, "नस्ली नही  हैं ।"

बादशाह को ताज्जुब हुआ,
उसने जंगल से साईस को बुला कर दरियाफ्त किया..

उसने बताया,
घोड़ा नस्ली हैं, लेकिन इसकी पैदायश पर इसकी मां मर गई थी, ये एक गाय का दूध पी कर उसके साथ पला है।

बादशाह ने अपने मसूल को बुलाया
और पूछा तुम को कैसे पता चला के घोड़ा नस्ली नहीं हैं ?"

उसने कहा
"जब ये घास खाता है तो गायों की तरह सर नीचे करके, जबकि नस्ली घोड़ा घास मुह में लेकर सर उठा लेता हैं ।"

बादशाह उसकी फरासत से बहुत मुतास्सिर हुआ, उसने मसूल के घर अनाज ,घी, भुने दुंबे, और परिंदों का आला गोश्त बतौर इनाम भिजवाया।

और उसे मलिका के महल में तैनात कर दिया।

चंद दिनो बाद ,
बादशाह ने उस से बेगम के बारे में राय मांगी,

उसने कहा, "तौर तरीके तो मलिका जैसे हैं लेकिन शहज़ादी नहीं हैं ।"

बादशाह के पैरों तले जमीन निकल गई, हवास दुरुस्त हुए तो अपनी सास को बुलाया, मामला उसको बताया,

सास ने कहा
"हक़ीक़त ये हैं,  कि आपके वालिद ने मेरे खाविंद से हमारी बेटी की पैदायश पर ही रिश्ता मांग लिया था,
लेकिन हमारी बेटी 6 माह में ही मर गई थी, लिहाज़ा हम ने आपकी बादशाहत से करीबी ताल्लुक़ात क़ायम करने के लिए किसी और कि बच्ची को अपनी बेटी बना लिया।"

बादशाह ने अपने मुसाहिब से पूछा
"तुम को कैसे इल्म हुआ ?"

उसने कहा,
"उसका खादिमों के साथ सुलूक जाहिलों से भी बदतर हैं । एक खानदानी इंसान का दूसरों से व्यवहार करने का एक मुलाहजा एक अदब होता हैं, जो शहजादी में बिल्कुल नहीं । "

बादशाह फिर उसकी फरासत से खुश हुआ और बहुत से अनाज , भेड़ बकरियां बतौर इनाम दीं साथ ही उसे अपने दरबार मे मुतय्यन कर दिया।

कुछ वक्त गुज़रा,
मुसाहिब को बुलाया,
अपने बारे में दरियाफ्त किया ।

मुसाहिब ने कहा "जान की अमान ।"

बादशाह ने वादा किया ।

उसने कहा, "न तो आप बादशाह ज़ादे हो न आपका चलन बादशाहों वाला है।"

बादशाह को ताव आया,
मगर जान की अमान दे चुका था,
सीधा अपनी वालिदा के महल पहुंचा ।

वालिदा ने कहा,
"ये सच है, तुम एक चरवाहे के बेटे हो, हमारी औलाद नहीं थी तो तुम्हे लेकर हम ने पाला ।"

बादशाह ने मुसाहिब को बुलाया और पूछा , बता, "तुझे कैसे इल्म हुआ ????"

उसने कहा
"बादशाह जब किसी को "इनाम ओ इकराम" दिया करते हैं, तो हीरे मोती जवाहरात की शक्ल में देते हैं....
लेकिन आप भेड़, बकरियां, खाने पीने की चीजें इनायत करते हैं...
ये असलूब बादशाह ज़ादे का नही,  किसी चरवाहे के बेटे का ही हो सकता है।"

( एक अरबी कहानी से मंक़ूल )

किसी इंसान के पास कितनी धन दौलत, सुख समृद्धि, रुतबा, इल्म, बाहुबल हैं ये सब बाहरी मुल्लम्मा हैं ।

इंसान की असलियत, उस के खून की किस्म उसके व्यवहार, उसकी नियत से होती हैं ।

एक इंसान बहुत आर्थिक, शारीरिक, सामाजिक और राजनैतिक रूप से बहुत शक्तिशाली होने के उपरांत भी
अगर वह छोटी छोटी चीजों के लिए नियत खराब कर लेता हैं, इंसाफ और सच की कदर नहीं करता, 
अपने पर उपकार और विश्वास करने वालों के साथ दगाबाजी कर देता हैं,

या अपने तुच्छ फायदे और स्वार्थ पूर्ति के लिए दूसरे इंसान को बड़ा नुकसान पहुंचाने की लिए तैयार हो जाता हैं,

तो समझ लीजिए,
पीतल पर चढ़ा हुआ सोने का मुलम्मा हैं ।
👍👌

Saturday, January 27, 2018

कासगंज। मुजरिम कौन।


गणतंत्र दिवस के पावन पर्व पर यूपी के कासगंज शहर में जो भी कुछ हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है। गलती किसकी है और कुसूरवार कौन है यह हम सबको मालूम है लेकिन इस दंगे का दंश बेकुसूर आम जनता झेल रही है। कासगंज सहित पड़ोसी जनपदों में हर पल एक नई अफवाह जन्म ले रही है जो दहशत फैलाने के लिए काफी है। कासगंज जिला तो इस समय दहशत के दलदल में फंसा हुआ है।
2014 के लोकसभा चुनाव परिणाम और यूपी में भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही यूपी का मुसलमान अपना हर कदम फूंक फूंककर रख रहा है। पता नही कब उस पर क्या इल्जाम लग जाये। कासगंज में घटी दुर्भाग्यपूर्ण घटना को सोशल मीडिया पर जिस तरह दर्शाया जा रहा है उसकी हकीकत भी जानना उतना ही जरूरी है जैसे खाना खाने के बाद पानी पीना?
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहीं पोस्ट मुसलमानों को ही सरासर दोषी ठहरा रही हैं, लेकिन हकीकत वायरल सच से बिल्कुल विपरीत है। आपको टीवी या सोशल मीडिया के जरिये जानकारी मिली होगी कि कासगंज में तिरंगा यात्रा पर मुसलमानों ने पथराव कर दिया और फायरिंग कर दी।  जिसमें अभिषेक गुप्ता उर्फ चंदन की मौत हो गई। आगजनी, तोड़फोड़ और मारपीट की घटनाएं घटीं। हिंसा के दूसरे दिन शनिवार 27 जनवरी को भी आगजनी तोड़फोड़ की घटनाएं घटित हुईं। दहशत और अफवाहों के चलते जिलेभर के बाजार बंद रहे, लेकिन आपको इस सच्चाई से किसी ने रूबरू नही कराया होगा कि तिरंगा यात्रा के दौरान विवाद शुरू कैसे हुआ। तो आइए जानते हैं वो सच्चाई जो मीडिया या सोशल मीडिया के वॉयरस आपको नही बताएंगे?
गणतंत्र दिवस के मौके पर एक समुदाय के युवाओं ने तिरंगा बाइक रैली का आयोजन सुनिश्चित किया। जिसके तहत तिरंगा वाहन रैली निकाली गई। बाइक सवार किसी युवा के हाथ में तिरंगा था तो किसी के हाथ में भगवा झंडा। वंदेमातरम, भारत माता की जय के जयकारों को गुंजायमान करते हुए तिरंगा-भगवा वाहन रैली मुस्लिम बाहुल्य इलाके बड़डू नगर पहुंची। जहां तिरंगा वाहन रैली के पहियों की रफ्तार कम हो गई और जयकारों के स्वर ऊंचे हो गए और जयकारे भी बदल गए। मुस्लिम इलाके में मुस्लिमों को उकसाने के लिए जयकारे थे हिंदुस्तान हिंदुओं का है, भारत में रहना है तो जय श्री राम कहना है, मुल्लों का एक ही स्थान पाकिस्तान या कब्रिस्तान? जब इस नारेबाजी का किसी ने विरोध नही किया तो वह वीर अब्दुल हमीद चौराहे पर तिरंगा और भगवा झंडा फहराने लगे। वहां मौजूद एक मुस्लिम युवक ने भगवा झंडा फहराने का विरोध किया तो उसके कपड़े खींचकर उसको थप्पड़ जड़ दिया। इसी को लेकर विवाद शुरू हुआ और कहासुनी देखते ही देखते मारपीट में बदल गई। तिरंगा यात्रा निकाल रहे विहिप, ABVP, बजरंग दल, हिन्दू वाहिनी के कार्यकर्ता अपनी बाइकें छोड़कर जान बचाकर भाग निकले। कुछ देर बाद दोनों समुदाय आमने सामने आ गए और पथराव फायरिंग होने लगी। जिसमें अभिषेक उर्फ चंदन गुप्ता की गोली लगने से मौत हो गई और नौशाद गोली लगने से घायल हो गया। इसके बाद दोनों समुदाय के लोग आक्रोशित हो गए।
सड़कों पर उतरे उपद्रवी तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाओं को अंजाम देने लगे। पुलिस ने उपद्रवियों से सख्ती से निपटना शुरू कर दिया और कर्फ्यू की घोषणा कर दी। प्रशासन को लगा कि अब हालात सामान्य हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नही हुआ। कुछ उपद्रवियों ने झंडा चौक स्थित एक मस्जिद को आग के हवाले कर दिया। इसके बाद शुक्रवार की देर रात पीलीभीत से आगरा जा रहे कार सवार अकरम कुरैशी की कार रूकवाकर अकरम कुरैशी और उसके परिवार के साथ मारपीट की। इस घटना में अकरम कुरैशी गंभीर रूप से घायल हो गया। जिसका जेएन मेडिकल कालेज अलीगढ़ में उपचार जारी है। इस सबसे अहम यह है कि इस घटना के बाद से तौफीक और मोहम्मद अच्छन लापता हैं।
उम्मीद थी कि शनिवार की सुबह होते ही हालात कुछ सामान्य हो जाएंगे, लेकिन हालात सामान्य होने के बजाय और बिगड़ गए। शनिवार को चंदन गुप्ता के अंतिम संस्कार के दौरान बीजेपी सांसद राजवीर सिंह राजू भैया ने बारहद्वारी पर आक्रोशित लोगों का गुस्सा शांत करने के बजाय उनके जख्मों पर नमक रगड़ दिया। इसके बाद आगजनी की घटनाएं शुरू हो गईं और उपद्रवियों ने चार दुकानों, एक घर सहित आधा दर्जन वाहनों को आग के हवाले कर दिया। शनिवार की देर रात तक उपद्रवी हाथ में पेट्रोल की बोतलें और पत्थर लेकर घूमते रहे।
अब सवाल यह है कि कासगंज में मचे इस कोहराम का गुनाहगार कौन है। यह हम सब जानते हैं और इल्जाम किसके सिर पर आएगा यह भी हमको पता है लेकिन इस दंगे का दंश बेगुनाह आम जनता को झेलना पड़ रहा है। जिसका कोई कुसूर नही है। लोग दहशत में है पता नही कब क्या हो जाये। कहने के लिए तो हालात सामान्य हैं लेकिन हिंसक घटनाओं से साफ जाहिर है कि अभी कासगंज में सब कुछ ठीक नही है।

Saturday, January 20, 2018

क्या होगा जब सनी लिओने आएगी तुसाद म्यूजियम...!


जब से यह तय हुआ कि दिल्ली के तुसाद  म्यूजियम में सनी लिओने का पुतला लगाया जायेगा और  जैसे ही यह खबर तुसाद मुजियम में पहले से लगे पुतलों को में  एक सनसनी सी फ़ैल गई! म्यूजियम का तापमान अचानक से बढ़ने लगा और उसमे लगे पुतले धीरे धीरे पिघलने लगे! म्यूजियम के करता धर्ताओ  में हडकंप मच गया उन्होंने तुरंत म्यूजियम का तापमान - २० डिग्री कर दिया ताकि पुतले पिघलकर बह न जाए! बड़ी मुश्किलों से पुतलों का पिघलना रोका गया!  फिर एक आपात बैठक तुरंत बुलाई गई और एक गंभीर चर्चा इस बात पर छिड़ी की जब सनी लिओने के पुतला लगने की खबर मात्र से म्यूजियम का तापमान इतना बढ़ गया की म्यूजियम का तापमान  -२० डीग्री करना पड़ा, जब पुतला बाकई में लगाया जाएगा तब क्या होगा! खैर फाइनली यह तय हुआ की हो सकता है तब तापमान और कम  करना पड सकता है! इधर जैसे ही यह ख़बर महेश भट्ट साहब को लगी उन्होंने  म्यूजियम वाले से सांठ गांठ कर अपना पुतला लगवाने के लिए जुगाड़ बिठा लिया और यह भी तय कर लिया की सनी लिओने का पुतला भी उन्ही के पुतले की बगल में लगाया जाए! खैर सांठ गाँठ से इस देश में सभी कुछ संभव है! अब म्यूजियम वाले जैसे तैसे सनी लिओने जी का पुतला बनाने की तईयारी में जुट लिए लेकिन लाख कोशिशो के बाद भी पुतला स्टेबल नही किया जा सका क्यूंकि मोम पिघलकर बहा जा रहा था!  सिमिति में यह आम राय भी बनी की हो सकता है की मोम की क्वालिटी में कुछ खामी हो, लेकिन कई सप्लायर से उच्च क्वालिटी का मोम प्राप्त करने के बाबजूद भी सनी लिओने का पुतला स्टेबल नही किया जा सका! बाद में सर्व सम्मति से यह राय बनी की क्यूँ न इस परेशानी की बजह सनी लिओने से ही पूछी जाये! तत्पश्चात इस समस्या के समाधान के लिए बिग बॉस से संपर्क साधा गया उन्होंने सिमिति की बात पर गौर करते हुए यह निर्णय लिया की यह ठीक रहेगा और कोई ५ सदस्य सनी लिओने से मिलने के लिए अपोइन्टमेंट  फिक्स्ड करे! उन सदस्यों को गए महीनो बीत गये तुसाद म्यूजियम आज भी उनके लौटने  का इंतजार कर रहा है!

Wednesday, January 3, 2018

मदरसे में छात्राओं का यौन शोषण

मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक़ से नही बलिक  महिला समाज को अपराध मुक्त बनाने के लिऐ सख़्त प्रावधान करे सरकार...
लड़कियों का शारिरिक शोषण के आरोपी को संगसार जेसी सख़्त सजा दी जाऐ...इस्लाम मे ऐसे आरोपी के लिऐ संगसार किऐ जाने का हे प्रावधान
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हाल ही मे अध्यात्मिक विश्वविद्यालय दिल्ली व लखनऊ स्थित एक मदरसे में छात्राओं का यौन शोषण किए जाने का सनसनीखेज खुलासा हुआ है शुक्रवार की रात पुलिस द्वारा की गई छापेमारी में मदरसे से 51 लड़कियों को मुक्त कराया गया मुक्त कराई गई लड़कियों ने मदरसे के अंदर चल रहे पाप के खेल का खुलासा किया तो सभी के होश उड़ गए अभी देश की राजधानी दिल्ली के अध्यात्मिक विश्वविद्यालय मे बाबा का कृतय की पुलिस ठीक से जांच भी नही कर पाई थी कि ठीक प्रकार का एक ओर मामला मीडिया के माध्यम से लखनऊ के मदरसा प्रबंधक द्धारा छात्राओं का शोषण किऐ जाने का प्रकाश मे आया हे
मदरसे में रह रही छात्राओं में से एक छात्रा ने चिट्ठी लिखकर मदरसे के अंदर अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों को बयां किया है उसने मदद की आस में यह चिट्ठी मदरसे से बाहर फेंकी थी हालांकि ये लड़कियां इस कदर डरी हुई थीं कि उन्होंने चिट्ठी मेंकई जगह पर पढ़कर चिट्ठी फाड़ देने की बात कही हे लेकिन पुलिस के हाथ किसी तरह यह चिट्ठीलग गई और मदरसे में चल रहे कारनामों का काला चिट्ठा खुल गया
छात्राओं ने मदरसा जामिया खदीजुल कुबरा के मैनेजर मोहम्मद तैयब ज़िया पर मदरसे की लड़कियों का यौन शोषण करने का आरोप लगाया है छात्राओं के अनुसार तैयब जीया दरअसल मदरसे में लड़कियों का यौन शोषण करता था आरोपी मैनेजर गिरफ्तार कर लिया गया है
मदरसे में पढ़ने वाली एक लड़की ने चिट्ठी लिखकर अपनी आपबीती बयां की है चिट्ठी के मुताबिक मदरसे के काजी की मदरसे में पढ़ने वाली बच्चियों पर बुरी नजर थी सूत्रों के मुताबिक मदरसे का काजी लड़कियों से अश्लील डांस करवाता था अपनी करतूतें छिपाने के लिए काजी लड़कियों को डराता धमकाता भी था इसी के चलते अब तक लड़कियां चुप थीं लेकिन अब काजी के पाप का घड़ा फूट चुका है
मदरसे में लड़कियों के साथ हो रहे अत्याचार का खुलासा तीन पेज की जिस चिट्ठी से हुआ उसमें ऐसे-ऐसे खुलासे हुए हैं कि आंखें फटी रह जाएं चिट्ठी लिखने वाली लड़की बताती है कि काजी रोज किचन में जाता है और लड़कियों को बुलाता है चिट्ठी में वह आगे लिखती है कि एक रात काजी ने एक लड़की को किचन में बुलाया था और उसके साथ बहुत बुरा किया
चिट्ठी में लड़की का दर्द पूरी तरह छलक आया है वह साफ-साफ लिखती है कि उनके मदरसे का काजी बहुत ही बदतमीज है लड़कियां वापस जाना चाहती हैं लेकिन काजी ने उन्हें यहां जबरन बंधक बनाकर रखा हुआ है मदरसे में लड़कियों का न सिर्फ यौन शोषण होता था बल्कि उनके साथ मारपीट और दूसरी और हैवानियत भी होती थी इसे मदरसा नहीं कैदखाना सही होगा कांपते हाथों से आड़ी टेढ़ी लिखावट में दर्ज लड़कियों की आपबीती बताती है कि इस मदरसे में लड़कियां किस कदर डर-डर कर रहती थीं चिट्ठी में कई जगहों पर यह लिखा है कि पढ़कर इसे फाड़ देना उन्हें डर था कि चिट्ठी की सच्चाई सामने आने पर उन्हें और भी प्रताड़ित किया जा सकता है इस मदरसे में पढ़ने वाली लड़कियों की जिंदगी नरक कर दी गई यह चिट्ठी उसी का सबूत है
मदरसे में यौन उत्पीड़न की शिकार लड़कियों की दास्तां बयां करने वाली चिट्ठी में मदरसे में ही काम करने वाली एक महिला पर काजी के साथ सांठगांठ का भी खुलासा हुआ है चिट्ठी में लिखा है "एक लड़की नाज है जो इनके (काजी) ऑफिस में रहती है उसने लड़कियों से कहा है कि जो वह कहेगी वो करना पड़ेगा लेकिन हम ये नहीं कर सकते हैं क्योंकि ये हमारी इज्जत का सवाल है
ऐसा भी नहीं है कि मदरसे में लड़कियों ने कभी अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों का विरोध नहीं किया लेकिन चिट्ठी में दर्ज उनकी पूरी कहानी पढ़ें तो पता चलता है कि उन्हें जान से मारने की धमकियां तक दी जाती थीं चिट्ठी में साफ-साफ लिखा है 'ये हम सबको बहुत मारता है ये बात किसी को मत बताना अगर वो जान जाएगा तो हम लोगों को मारेगा ये पढ़ कर फेंक देना, प्लीज बताना नहीं फाड़ देना
गौरतलब है कि इस मदरसे में 125 लड़कियां पढ़ती हैं, जिनमें से 51 छात्राएं यहां मौजूद थीं जिन्हें मुक्त करा लिया गया है मुक्त कराई गईं अधिकतर लड़कियां नाबालिग हैं इनमें से 9 लड़कियां बिहार की2लड़कियां नेपाल की और बाकी लड़कियां उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों की हैं
चिट्ठी मिलने के बाद लखनऊ के पुलिस अधिक्षक (पश्चिम) विकास चंद्र त्रिपाठी समेत कई थानों की पुलिस ने महिला पुलिस के साथ बीती रात रेड मारकर करीब 51 लड़कियों को आज़ाद करवाया लड़कियों को नारी निकेतन भेज दिया गया है कुछ बच्चियों को उनके परिजनों को सौंप दिया गया है शेष बच्चियों को आज कोर्ट में पेश किया जाएगा कोर्ट में जब ये बच्चियां अपनी आपबीती सुनाएंगी तो पाप की इस पाठशाला और पाप का पाठ पढ़ाने वाले काजी के और काले कारनामे दुनिया के सामने आएंगे इस्लाम मे ब्लातकारी के लिऐ मेदान मे खड़ा कर अंतिम सांस तक संगसार (जबतक आरोपी का दम न निकल जाऐ उस समयतक पत्थर मारते रहना)करने जेसी सख़्त सज़ा का प्रावधान हे भारत सरकार को चाहिए कि मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से नही बलिक समस्त महिला समाज के साथ देश मे हो रहे महिला अपराध पर क़ाबू पाने के लिऐ ऐसे विशेष न्यायालयों का गठन करें जहां इस प्रकार के अपराधों की तवरित सुनवाई पूर्ण कर संगसार जेसी कढ़ी सज़ा दी जाऐ जिस से की इस प्रकार का घृणित कुकर्म करने का कोई साहस न कर सके