इस में शक नही के आज़ादी के बाद से लेकर आज तक मुसलमानों को ऐसा कोई नेता नही मिला जिसे वो अपना सच्चा हम दर्द या लीडर मान सके मोलाना आज़ाद एक मात्र ऐसे नेता थे जो मुसमानो के आलावा हिन्दू भी जिन्हें अपना लीडर मानते थे मगर क्या वजह हे की उनके बाद मुसलमानों को कोई रहनुमा नही मिला कांग्रेस में कई मुस्लिम लीडर आये मगर उन्होंने अपने जाती फायदे के लिए इस कोम को बेच दिया कांग्रेस ने देखा ये लोग धार्मिक नेता ( उलमा ) के पीछे आंख बंद करके चलते हें तो मदनी साहब को बिना अल्क्शन लड़े एम पी का दर्जा दे दिया इस शर्त पर आप आख कान बंद करके हमारी हाँ में हाँ मिलते रहोगे .. वो सोचते रहे हमेशा हम मंत्री ही रहेंगे मगर उसके बाद उन्हें उतार फेक दिया गया .. मगर अब कहाँ हे वो कोम को बेचने वाले इंडिया में दलित समाज फर्श से अर्श पर पहुच गया सिर्फ इमानदार नेताओ के बल पर जिहोने उन्हें नारा दिया शिक्षित बनो . संघर्ष . करो . संगठित रहो . मगर मुसलमान नेता और उल्माओ के शिकार होते रहे जिस का नतीजा हे की आज शाही इमाम किसी पार्टी को समर्थक देने की बात करता हे तो पार्टी समर्थक लेने से इंकार करती हे क्योंकि इमाम साहब कभी कांग्रेस को तो कभी बी जे पी कभी समाजवादी कभी बी अस पी को समर्थक के नाम पर इस कोम को नीलम करते आ रहे हें इमाम साहब ने अपने परिवार का तो फायदा किया मगर मुसलमानों की तरक्की के लिए कुछ नही कर पाए .. अब बात आज के मुस्लिम लीडरो की नकवी साहब जो बी जे पी के बड़े लीडर हें वो ये बात अच्छी तरह से समझ ले की वो किसी क़ाबलियत की वजह से नही बल्कि मुसलमान होने की वजह से मंत्री बनते आये हें शाहनवाज़ हुसेन भी इसी वजह से पार्टी में हें लग्ज़री ज़िन्दगी गुज़रो और खामोश रहो ... सलमान खुर्शीद . नसीमुद्दीन सिद्दीकी . आज़म खान . इन्हें भी मुसलमानों की दुर्गति से कुछ लेना देना नही . हर मुसलमान अपने आप को तुर्रमखां समझता हे सात सो सालो तक हुकूमत का नशा अभी तक ये कोम उतार नही पाई , अगर मुसलमान उल्माओ को ही अपना नेता मानता हे तो उन्हें राज निति में आ जाना चाहिए ताकि पूरी कोम एक प्लेटफार्म पर आ सके क्योंकि उल्माओ की एक आवाज़ पर लाखो लोग रामलीला मैदान में आ सकते हें जमाते उलमा हिन्द देवबंद में बे शुमार लोगो को एक जगह बुला सकती हे तो समझ लेना चाहिए ये कोम उल्माओ को लीडर मानती हे उल्माओ को अपने अन्दर बहतरीन क्वालटी की लीडर शिप विकसित करनी होगी तभी इस दबी कुचली कोम का कुछ भला होगा इस कोम को एक प्लेटफार्म पर आना होगा पार्टी चाहे कोई भी हो सभी एक को चुने तब कही जाकर इज्ज़त मिलेगी शिक्षा पर ध्यान दें पढ़े लिखे लोग राजनीती में आयें देश और समाज को सही दिशा दे सकें नेता भी इन्सान हें फ़रिश्ते नही चाहे वो नेता हो या उलमा ईमानदारी दिखाएँ रऊफ अहमद सिद्दीकी एडिटर जनता की खोज नॉएडा
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मेरी दुनिया में आप आए इसके लिए आपका आभार. निवेदन है कि कृपया टिप्पणी दिए बिना यहाँ से न जाएँ और मेरी दुनिया वापस लौट कर भी आएँ.