मालवीय जी को उनके १५४ वी जयेंती पर भारत रतन दिया जाना उन्हें राष्ट्र की ओर से दी जाने वाली सच्ची श्रधान्जली हे मालवीय जी का जन्म इलहाबाद में हुआ था मगर कशी के संगम तथ को उन्होंने अपनी साधना का शेत्र चुना गाव गाव जाकर अमीर गरीब मजदूर लोगो से एक एक पैसा जोड़ कर कशी विश विधाल्ये की स्था पना की इस के लिए मालवीय जी को बिखारियों का रजा भी खा जाता हे आज ३० हजार छात्र छात्राओ को प्राचीन ज्ञान के साथ आधुनिक ज्ञान विज्ञानं की शिक्षा दी जाती हे उनका येही अवदान उन्हें भारत नही बल्के विश्वरत्न प्रदान करने के लिए पर्याप्त हे वो पहले अध्यापक थे फिर सम्पादक बने फिर वकालत के पेशे में आये वो जहाँ भी रहे अपनी अमिट छाप छोड़ी गोरख पुर में अग्रेजो के खिलाफ हुए ऐतिहासिक चोरी चोरा कांड में फासी की सज़ा प् चुके १५० आरोपियों को उन्होंने फासी की सज़ा से बचा लिया था मालवीय जी का योगदान इतना ज्यादा हे की उसे शब्दों में वयक्त करना एसंभव हे समूचा राष्ट्र उनका रणी हे उन्हें भारत रतन दे कर समूचा राष्ट्र फक्र महसूस कर रहा हे .........रउफ अहमद सिद्दीकी नॉएडा
No comments:
Post a Comment
मेरी दुनिया में आप आए इसके लिए आपका आभार. निवेदन है कि कृपया टिप्पणी दिए बिना यहाँ से न जाएँ और मेरी दुनिया वापस लौट कर भी आएँ.