रऊफ अहमद सिददीकी की दुनिया में आपका स्वागत है

Friday, December 26, 2014

भारत रतन मदन मोहन मालवीय

मालवीय जी को उनके १५४ वी जयेंती पर भारत रतन दिया जाना उन्हें राष्ट्र की ओर से दी जाने वाली सच्ची श्रधान्जली हे मालवीय जी का जन्म इलहाबाद में हुआ था मगर कशी के संगम तथ को उन्होंने अपनी साधना का शेत्र चुना गाव गाव जाकर अमीर गरीब मजदूर लोगो से एक एक पैसा जोड़ कर कशी विश विधाल्ये  की स्था पना की इस के लिए मालवीय जी को बिखारियों का रजा भी खा जाता हे आज ३० हजार छात्र छात्राओ को प्राचीन ज्ञान के साथ आधुनिक ज्ञान विज्ञानं की शिक्षा दी जाती हे उनका येही अवदान उन्हें भारत नही बल्के विश्वरत्न प्रदान करने के लिए पर्याप्त हे वो पहले अध्यापक थे फिर सम्पादक बने फिर वकालत के पेशे में आये वो जहाँ भी रहे अपनी अमिट छाप छोड़ी गोरख पुर में अग्रेजो के खिलाफ हुए ऐतिहासिक चोरी चोरा कांड में फासी की सज़ा प् चुके १५० आरोपियों को उन्होंने फासी की सज़ा से बचा लिया था मालवीय जी का योगदान इतना ज्यादा हे की उसे शब्दों में वयक्त करना एसंभव हे समूचा राष्ट्र उनका रणी हे उन्हें भारत रतन दे कर समूचा राष्ट्र फक्र महसूस कर रहा हे .........रउफ अहमद सिद्दीकी  नॉएडा 

Monday, December 22, 2014

मुसलमानों के अच्छे दिन

आप सभी से मेरा निवेदन हे की आप यह लेख आखरी लाइन तक पढ़े 


आज कल मुसलमानों को घर वापसी का मोका हमारे बहुत ही समझदार नेता दे रहे हे बहुत अच्छी बात हे चलो इसी बहाने कुछ गरीब मुसलमानों का भला हो जाये आधार कार्ड ज़मीन के पट्टे कुछ आर्थिक मदद समाज में साथ रहने का मोका इज्ज़त से देश में रहने की आज़ादी शक की नजर से देखने वाले फिर तो कुछ रहेम करेंगे कितना अच्छा लगेगा जब उन लोगो को जो गिरी हुई नज़र से देखते थे वो अब उनकी   आँखों के तारे होंगे फिर वो लीग उन मंदिरों में भी जा सकेंगे जहाँ अब वो नही जा सकते मोलाना कल्बे सादिक ने भी कह  दिया  की अगर गरीब मुसलमानों को हिन्दू बनाकर उन्हें गरीबी से निजात दिलाते हे तो किसी मुस्लमान को कोई एतराज़ नही होना चाहिए हिन्दू धर्म में वापसी कुछ लोगो को बेहतर ज़िन्दगी दे इस से अच्छा मेरी नज़र में कुछ नही ... मगर इस बात की क्या गारंटी हे ये लोग खुश  हाल हो जायंगे घर वापसी कराने  वालो को चाहिए वो इतना तो करे इन के  बेंक में खाता खुलवाकर इन के खाते में कम से कम ५० लाख रूपये जमा करा दे ताके वो घर वापसी के बाद धर्म के काम  में भी लगे रहे जो समय हमारे महान नेता इस कम में लगा रहे हे वो किसी और  नेक काम में लगा सके सोचो हिन्दू धर्म का २० साल बाद क्या होगा ,,आप धर्म बदल सकते हो मानसिकता नही सब से बड़ी परेशानी  धर्म नही अज्ञानता हे गरीबी हे शिक्षा की कमी हे देश के प्रति सम्मान की बात हे ...अगर हम देश के बारे में सोचे और इन लोगो को और कुछ नही २०साल जो पैसा हमारे नेता इन्हें घर वापसी में लगा रहे हे इन्हें शिक्षित करने में लगा दे तो देशदुनिया  का नंबर १ देश होगा अमीर आदमी किसी भी धर्म का हो किसी भी देश का हो एक से दिखते हे उनके कपडे उनके प्र्फियूम उनके घर उनका लाइफ इस्टाइल एक सा क्यों होता हे ..फर्क नही पड़ता अमीर अमेरिका  का हो या बंगला देश का हो .. मेरे जेसा मुसलमान तो यह कहने में गर्व महसूस करता हे ...पहले देश फिर धर्म ...... क्या घर वापसी करने वाले बता सकते हें के मुस्लमान से हिन्दू बने लडको की शादी अपनी बेटियों से करा सकते हे ...क्या वो इन की साथ एक प्लेट में खाना खा   सकते हें क्या गरीबी से इन्हें निजात दिला सकते हे ...अगर नही तो इस ड्रामे को बंद करें .....एक बात याद रहे मुसलमान कभी नही बदल सकता ..मुसलमान हमेशा मुसलमान ही रहेगा ..........

Tuesday, February 11, 2014

संगीत मेरी इबादत है:- ममता श्रीवास्तव


पाशर्व गायकी मे ममता श्रीवास्तव अब नया नाम नही है भोजपुरी और हिन्दी फिल्मों मे उनका खासा नाम है। पेशे से टीचर ममता श्रीवास्तव संगीत को एक ऐसे माध्यम के रूप में देखती है जिसके द्वारा वो इस समाज में कुछ योगदान दे सके। ममता मुंबई के आर वीटी विधालय मे बच्चो को संगीत सिकाती है। संस्कार उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उनका मानना है कि संगीत और सिनेमा समाज के अच्छे या बुरे बनने में बहुत असर डालतें हैै। उनके मुताबिक शिक्षिका होने के नाते वो गीतो एका चुनाव बेहद सजगता से करती है वो प्रसिद्व और पैसे के लिए कोई भी गाना नही गाती आकाशवाणी में वीहाई ग्रेड प्राप्त ममता श्रीवास्तव हाल ही में दिल्ली दूरदर्शन में एक शो के लिए आई डीडी 1 टीवी चैनल पर प्रसारित ईविनिंग लाइव शो में उन्होने इस्पेशल गेस्ट के तौर पर अपनी लिखी गजल और भोजपुरी लोगगीत गाये इसी मौके पर रउफ अहमद सिद्वीकी ने उनसे भोजपुरी गीतो और उनकी दिशा पर बात की प्रस्तुत है पूरी बात ।

आप मुख्यतः भोजपुरी गीत गाती है, जिसमें ज्यादा तर देवर भाभी और हल्के मूड के गाने होते है। गाने का चुनाव कैसे, करती हैः

मै हमेशा याद रखती हूॅ कि मै जो गाना गाउंगी उससे मेरे अपने बच्चे और स्टूडेटस जरूर सुनेंगे ऐसे में कलाकार के रूप में जिम्मेदारी है कि मै ऐसे गाऊ जिनसे समाज और बच्चो पर उसका बुरा प्रभाव न पडे इसके लिए चाहे मुझे साल मे 10 में से दो ही फिल्मो का चुनाव क्यू न करना पडे सफलता का रास्ता समझौते से नही पूरा करना चाहती इसके लिए मैने मडर 2 के एक गीत को ठुकरा दिया

ः- क्या बोल की वजह से ठुकराया आपने यह गाना --

 नही डायरेक्टर ने मुझे इसमें गाने का खुद मौका दिया था लेकिन कुछ परिस्थ्यिों ऐसी बनी की मुझे नल करना पडा 

संगीम में भोजपुरी गीतो का क्या योगदान है।---

 बहुत अच्छा प्रश्न पूछा है आपने पहले तो मै बताना चाहुगी की भोजपुरी आज वो पहले वाली भोजपुरी नही रह गयी है। जिसमें हर मौसम हर त्योहार और रस्म के लिए गीत होते थे आज भोजपुरी बस मैलोडी बनकर रह गयी है। फिर भी भोजपुरी गीतो को सुनने वाले पूरे देश में रहते है यहां तक कि मुबई में भी भोजपुरी के बहुत कद्रदान है संगीत और फिल्मो में भोजपुरी गीतो की अलग छाप है दीलीप साहब पर फिल्माया यह गाना नयन लड जयै तो कलेजवा में कसक हुइ बै करी, आज भी प्रसिद्व है इसके अलावा कई गीतो को लोग आज भी याद करते है 

भोजपुरी में किस तरह के गीतो को पसन्द किया जाता है।

आज भोजपुरी फिल्मो में गीतो का माहौल बहुत बिगड गया है। भोजुपुरी गीत अशीललता और द्विअर्थी शब्दा से भरें पडे है आज फिल्म और संगीत निर्माता इन्हे जनता की डिमाड बताकर अपनी जेबे भरने में लगे है।लेकिन सच्चाई इसके एक दम विपरीत है जनता तो एक दम भेली होती है आप जो दिखाते है वह वो देखना उनकी मजबूरी है सिंगर भी यह नही ध्यान रखते की राईटर ने क्या लिखा है वो अश्लील से अश्लील गीत भी गाकर चल देते है उनको पैसे से संतुष्टि मिल जाती लेकिन मै संस्कृति से जुडी हूूॅ। मै कभी ऐसे गाने नही पसन्द करती जिन्हे बैठ कर अपने परिवार के साथ न देख सकूॅ।

 बच्चो पर आज के संगीत का क्या असर पड रहा है

 कई बार मै हौरान रह जाती हॅ जब बच्चे मुझ से ऐसे गानो के विषय मे पूछते है जिसे सुनने के लिए वें बहुत छोटे है लेकिन वो गाने नेट और टीवी पर खुब दिख रहे है उनका पिक्चराइजेशन बेहद वल्गर है हम अपने बच्चो को उनकी पहुच से दूर नही रख सकते इसके लिए बस मै फिल्म और संगीत निर्माताओ से यही प्रार्थेना कर सकती हूॅ कि वो संस्कृति को भ्रष्ट करने वाली चीजे न दिखाये खाश तौर से भोजपुरी फिल्मों में इस बात का ध्यान रखने की सबसे अधिक आवश्यकता है।

आप बाॅलीवुड में पहचान बना रही है ऐसे में संगीत और शिक्षिका की  भूूिमका में कैस सामजस्य बैठाती है।

 मुझसे बहुत लोगो ने कहा कि जब आप एक गाने का इतना अच्छा अमाउंन्ट लेती है तो क्यू स्कूल में नौकरी करती है दरअसल मुझे शिक्षिका के रूप में संतोष मिलता है जिस स्कूल में मै पढाती हूॅ वहा सस्कारो पर बल दिया जाता है यही वजह है कि मै यहां अपनी मिटट्ी से जुडा महसूस करती हूॅ साथ समाज के निर्माण में छोटा ही सही कुछ सार्थंक योगदान दे पाती हूॅ

संगीत को लेकर आज काफी रियलिटी शो आ रहे है भोजपुरी में भी ऐसे मुकाबले आने लगे है आपको क्या लगता है कि ऐसे कार्यक्रम भोजपुरी संगीत के लिए कुछ योगदान दे पायेगे। 

निरूसंदेह आज मोहल्ला काफी बदल रहा है कंपटीशन का दौर है रियल्टी शोज से एक मौका तो मिलता ही है लेकिन इस्ट्रगल कम नही हो सकता मै कहती हूॅ कि लता ताई के जमाने में बाॅलीबुड में स्ट्रगल करना आसान था लेकिन आज युग में अपनी पहचान इमानदारी से बना पाना बेहद कठिन है मैने एक बार लता जी के सामने स्टेज पर परफोम किया था उन्होने ने कहा था कि ममता आपकी आवाज बहुत अच्छी है मै तुमसे यही कहना चाहती हॅॅू जब भी गीत गाना अच्छे शब्दो और बोलो को देखकर ही गाना नही हो सके तो अपने दिल के आवाज को अपनी खुद की सीडी में उतारना मै आज भी उनकें दी सीख का पालन कर रही हॅॅू इसके लिए चाहे मुझे कितनी ही फिल्मो को छोडनी पडे।

कुछ नौसीखिये डायरेक्टर आज भोजपुरी फिल्मो का निर्माण कर रहे है जिस के कारण फिल्मो का स्तर गिरया है और भोजपुरी सिनेमा का दुःशप्रचार हुआ है क्या आप इसे सही मानती है।।

बहुुत अच्छा सवाल है। बिल्कुल ठीक कहा आपने ब्लकि आपने मेरे दिल की बात पूछ ली है भोजपुरी में अच्छे डायरेक्टरों की कमी नही लेकिन आज भोजपुरी फिल्मो में कुछ नौसीखिये डायरेक्टर आ गए है मै एक फिल्मा का उदाहरण देना चाहुंगी डायरेक्टर का नाम नही लेना चाहूंगी फिल्म का नाम था प्रेम विरोधी नाम सुनकर लगेगा अच्छा विषय उठाया होगा डायरेक्टर ने इस फिल्म को मेरे भाई ने फाईनेंस किया था लेकिन स्टोरी उन्हे भी पता नही थी जब मै इसका गीत गाने स्टूडियों मे पहुंची तो वहा का माहौल और गीत के बोल देखकर मेरा मन उखड गया और मै विना गाये चली आई दूसरी ंिसगर ने हर लिमिटको को्रस करके वही गाना गाया और इसका फिल्मांकन बेहद वल्गर है मै ऐसे निर्माताओ से बस यही कहना चाहती हॅ कि भोजपुरी जो मिटट्ी है उसकी संस्कृति को गन्दा न करे।

नई कौन सी पिक्चर आ रही है---- 

मेेरी एक फिल्म आ रही है शादी के सात  दिन उसमें शादी से पूूर्व जो रस्मे होती है और जो लोकगीत गाये जाते उन्ही ण्को दिखाया गया है इसके अलावा फक्र मुंबई लाइव मे भी मैने गाने गाये है। 

Thursday, January 30, 2014

चाय और मिर्ज़ा जी

हम अपने पड़ोसी मिर्ज़ा जी से बड़े परेशान थे सूरज निकलना भूल सकता मगर वो सुबह सुबह अख़बार और
चाय और हमारी कुर्सी पर कब्जा करना नही भूलते थे हम से पहले हमारा अख़बार वो ही पढ़ते चाय का कप तो
हमारे हाथ में आने से पहले उनके हाथ में पहुच जाता था हमारी परेशानी हमारे पुराने नोकर मुन्नू खां शायद
समझ गये थे बोले -सिद्दीकी साहब अगर आप कहे तो ये परेशानी में दूर कर सकता हूँ -हम ने भी खुश होकर
हां कर दी -अगले दिन जेसे ही मिर्ज़ा जी ने आकर अख़बार पर कब्जा किया -मुस्कुराते हुए मुन्नू खां आ धमके - बोले मिर्ज़ा जी ठंडा लेंगे या गरम मिर्ज़ा जी ने रोब झाड़ते हुए कहा - गरम चाय -हुजुर कप में या गिलास में -
कप में -छोटे कप में या बड़े -
बड़े में
काली या दूध वाली
दूध वाली
मीठी या फीकी
मीठी
गर्म या ठंडी
गरम
हुज़ूर बिस्कुट
इतना सुन कर मिर्ज़ा जी आग भाबुला हो हए -भाड़ में जाओ तुम और तुम्हारी चाय -अख़बार मेज़ पर पटक
ऐसे गये की आज तीन दिन हो गये दिखाई नही दिए -मगर इन तीन दिनों में न मुझे अख़बार अच्छा लगा
न चाय और मेने फेसला किया अब में अख़बार और चाय बिना  मिर्ज़ा जी के ,,,,,,,कभी नही