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Monday, April 6, 2015

मुसलमान सिर्फ वोट बैंक नही

देश आज़ाद हुए ६७ साल हो गये हें देश ने काफी तरक्की भी की कुछ ऐसे समाज भी हें जिनकी गरीबी और जिल्लत भी ख़त्म हो गयी .. मगर क्या वजह हे कि मुसलमान इस गरीबी और जिल्लत की ज़िन्दगी से बाहर नही निकल प् रहे हें .. अपने आप को सेकुलर कहने वाली कांग्रेस पार्टी सत्ता में ५५ साल राज कर चुकी मगर मुसलमानों के विकास के लिए कुछ नही कर सकी बल्कि मुसलमानों को बर्बाद करने में अपना पूरा सहयोग देती रही २५ करोड़ मुसलमान न देश भग्त बन सके न देश की तरक्की में इन का कोई सहयोग न राजनीती में इनका कोई वजूद ... आज़ादी की बाद अगर सब से ज्यादा नाश किसी ने मुसलमानों का किया हे तो वो कांग्रेस हे जिस ने मुसलमानों को कही का नही छोड़ा .. मगर जब मुसलमान ने कांग्रेस को छोड़ा तो ... आज कांग्रेस कहाँ हे देख सकते हें . आज कांग्रेस देश की सब से कमजोर पार्टी हो गयी  . सिर्फ दलित और मुसलमान के दम पर राज करने वाली कांग्रेस का हश्र सब के सामने हे ..दलितों ने अपना रहनुमा चुन लिया और वो देश की मुख्य धरा में आ खड़े हुए हें .. साडे चार साल तक मुसलमान वोट देने के लिए एक जगह बनता हे .. मगर चुनाव आते ही एक ऐसा माहोल तेयार किया जाता हे हे कि मुसलमान भावनाओ में बह कर या झूठे वादों पर एतबार करके अलग थलग हो जाता हे .. और नेता अपना काम कर जाते हें . मुस्लिक पर्सनल ला  बोर्ड हो या जमायते उल्माए हिन्द . मुसलमानों को राज्य मंत्री के बदले में नीलाम कर देते  हे . यह कोम आँख मीच कर अपने रहनुमाओ के साथ चलते जाते हें . और अपना भविष्य बर्बाद करते रहते हें .. सब से अच्छा तो ये हे कि मुसलमान एक तरफ हो कर वोट करें चाहे वो  बी जे पी  को ही वोट करें मगर एक जगह करें  ताकि मुसलमानों का कुछ वजूद बन सके और दिखा दें इस देश को २५ करोड़ मुसलमान जिनके ५० करोड़ हाथ हें देश की तरक्की में दिलो जान से लगे ..तभी ताकत और इज्ज़त मिलेगी                                          
                                                              रऊफ अहमद सिद्दीकी
                                                              संपादक   जनता की खोज  मिडिया ग्रुप नॉएडा 

Thursday, April 2, 2015

यमन में बच्चो के दम पर लड़ाई


एक साल पहले यमन उन चंद देशो में एक था बाल संसद थी यह किशोरों का चुना हुआ एक संघठन था जो देश के निति और नेता को भी सलाह देता  था इस की ख़ास चिंता थी .. केसे सेना और हथियार बंद गुटों में बच्चो की भर्तियाँ रुके अब तेजी से साल २०१५ की तरफ देखते हें ...अब यमन की सरकार गिर चुकी हे इस की राजधानी पर विद्रोही हौती   लडाको का कब्ज़ा हो चूका हे जिहें ईरान का समर्थक प्राप्त था   . अब इस देश के जो की अरब मुल्को में सब से गरीब हे अफरा तफरी का माहोल हे सस्त्र सेना और अलकायदा समर्थित गुटों का यहाँ आंतक छाया हुआ हे और अब चुनी हुई सरकार की बहाली  के लिए अरब विदेशी सेना द्वारा जिसकी कमान सऊदी अरब के हाथ में हे और जिसे अम्रीका का समर्थक प्राप्त हे जमीनी आक्रमण की आशंका हे ... सयुक्त राष्ट्र के अनुसार हजारो किशोरों सेनिको को देख कर चढ़ाई करने वाली सेना को आश्चर्य चिकित नही होना चाहिए .. पिछले साल सासत्र सेना गुटों द्वारा बच्चो की भर्तियों में करीब पचास प्रतिशत की वृधि हुई हे ...ईरान और सऊदी अरब छादम उध में बटे हुए हें एक तिहाई से भी अधिक हौती लडाके १८ साल से भी कम हे मानवीय स्तिथि बद्तर होने से भर्ती होने के काम और तेजी से बढे हें .. यमन की दो तिहाई आबादी खाना पानी और दूसरी सहायताओ के इंतज़ार में हे यमन के मानवता वादी संकट अपने चरम पर हे किशोर सेनिको की संख्या में आई बढ़ोतरी एक तरह से सयुक्त राष्ट्र के लिए आघात हे इस संघठन ने दुनिया भर के किशोर सेनिको की संख्या घटाने में प्रगति प्राप्त की हे बीते मार्च इसमें चिल्ड्रन नोट सोल्जर अभियान की शुरआत की और अगले साल तक सेना में बच्चो की भर्ती पर रोक लगाना हे ... इराक    .. माली    .. आदि देशो के साथ यमन पर भी इस संघठन की नजर थी यह साफ हे कि यमन की कई और ज़रूरते हे पर उनकी सब से बड़ी ज़रूरत यह हे की ...बच्चो के हक़ की रक्षा हो बच्चे राष्ट्र का भविष्य होते हे न कि लड़ाके ...............................
                                                                                रऊफ अहमद सिद्दीकी
                                                                                संपादक  जनता की खोज   नॉएडा