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Saturday, March 28, 2015

अंतकवाद के खिलाफ गुस्सा

आंतकवाद  के खिलाफ धीरे धीरे लोगो में गुस्सा बढ़ता जा रहा हे भले ही जंग में आंतकवाद दो धरी तलवार की तरह होता हे वो विरिधियों को कमज़ोर करता हे और खोफ़ जदा भी मगर ये विरोधियों को एक जुट होने का मोका भी देता हे ले०  मुनाज अल कसाबेह की हत्या से ये सवाल उठता हे कि क्या आंतकी संगठन आई एस आई एस के पास ( भारत से पचिम एशिया ) को लेकर किसी तरह का कोई प्लान हे खूंखार होना राजनीती नही होती क़त्ल राजनीती नही कहलाती पायलेट को पकड़ने के बाद आई एस आए एस नरमी दिखाती और उसे जिंदा छोड़ा होता तो जॉर्डन पर उसका क्या असर पड़ता इस पॉइंट पर ग़ोर करे तो साफ हे ये मोके का फायदा उठाने वाले और दोहरे बर्ताव वाले से ज्यादा अच्छा लगता नरमी बरतकर आंतक के खिलाफ जॉर्डन की लड़ाई को काफी हद तक कमज़ोर करना संभव होता इस में कोई शक नही कि जॉर्डन के समाज की अपनी कमजोरी हे वहां आंतकी सोच तेजी से फेल रही हे यह इस आधार पर कहा जा रहा हे इस संगठन में विदेशी लडाको का तीसरा सब से बड़ा हिस्सेदार यह देश हे  वहां बे रोजगारी वे सामाजिक बुराइयाँ ज्यादा हे लेकिन यह भी सच हे जॉर्डन की ख़ुफ़िया गिरी एक बड़ी दोलत भी हे पर माना जाता हे कि जॉर्डन ने इराक़ में अल कायदा के नेता अबू मुतब अल जरकावी के ठिकाने की खबर दी जिस के दम पर अमरीका ने उसे उसी के गढ़ में मार गिराया जॉर्डन और जिहादी सीरयाई विद्रोहियों को पनाह और सुविधा देता हे ले ० अल कसाबेह को बंधक बनाना आईएसआईएस के पास एक मोका था कि वो जॉर्डन के अंदरूनी बटवारे का फायदा उठाता जॉर्डन  ने दो इराकी जिहादियों को मोंत की सजा तामील करा दी दोनों भयंकर अपराध के दोषी थे और वहां मोंत की सजा की बंदिश को हटा दिया फिर भी बदले वाला रवैया इंसाफ नही होता वाशिगटन से लोटने के बाद सह का जिस तरह स्वागत हुआ हे उस से तो यह ज़ाहिर होता हे कि पायलट की हत्या से इस वख्त सरकार की आलोचना बंद हो गयी हें और आई एस आई एस के खिलाफ लोग लाम बंद हुए हें आंतक कितना भी सर उठा ले उसे एक दिन उसे झुकना ही पड़ेगा
                                       
                                                                            रऊफ अहमद सिद्दीकी
                                                                               संपादक जनता की खोज
                                                                               नॉएडा     www.jantakikhoj,com  

Wednesday, March 25, 2015

फरखंदा के क़त्ल के बाद

इस्लाम के नाम पर कुछ कट्टरपंथी मुल्ला दुनिया में खौफ  कायम करना चाहते हें इसी कड़ी में अफगानिस्तान काबुल में एक २७ साल की औरत फरखंदा  को न सिर्फ पीट पीट कर मार डाला गया बल्के उसकी लाश को भी आग लगा दी गयी  फरखंदा पर इलज़ाम था कि उसने कुरान शरीफ को जला दिया था मगर उसके परिवार वाले इस इलज़ाम को गलत बताते हें जब की कुछ लोगो का कहना हे कि वो मानसिक रूप से कमजोर थी सच्चाई जो भी हो मगर उसे ऐसी मोंत नही मिलनी चाहिए थी भीड़ ने जिस तरह उसे मजहब के नाम पर मोंत के घाट उतरा उसकी वो हक़ दार बिलकुल भी नही थी फरखंदा को ऐसे लोगो के समूह ने मारा हे जो खुद को पुलिस .  वकील . जज .. भी समझते हें सजा भी खुद ही सुनाते हें और उसे लागु भी खुद ही करते हें फरखंदा को अपनी सफाई तक देने का मोका मिला जिस तरह उसे मारा गया हे उसके परिवार वाले इस जखम को ज़िन्दगी भर भुला नही पाएंगे अफगानिस्तान में इस तरह की घटना आम  बात हो चुकी हें . लेकिन रात कितनी भी काली क्यों न हो सुबह ज़रूर होती हे . इस खोफ़ और जुल्म के बीच कुछ उम्मीद की किरण भी हें , इस अन्याय से लड़ने और ताकत की कुछ आवाजे अब उभरने लगी हें . औरत ही ऐसे ज़ुल्म की शिकार क्यों होती हे फरखंदा के मामले में एक ख़ास चीज ये हुई कि औरते घर की दहलीज से बाहर निकली . उसका जनाज़ा लेकर गयी . और खुद उसे दफ़न भी किया इतना ही नही इस मोके पर . खुल कर बोली भी . सरकार से कानून का शासन लागु करने और अवाम को सुरक्षा देने के लिए कहा इन औरतो ने साफ कर दिया . की ये बदतर हालत की हकदार नही हें . अफगानिस्तान में तालिबान के शासन काल में और उसके बाद . युद्ध के दोरान औरते अन्याय की सबसे ज्यादा शिकार हुई हें . लेकिन ताज़ा घटनाओ से यह बात तो साफ हे कि . अब ये औरते खामोश बैठने वाली नही हें . ये उस देश के लिए एक नई मिसाल हे जहाँ हमने कई तरह के जुल्म को देखा हे . औरते अब इंसाफ के लिए निकल पड़ी हें और इसमें कोई शक नही कि वो कामयाब भी होंगी . खुदा भी उनकी मदद करता हे जो अपनी मदद खुद करने की हिम्मत  रखता हो .........//                                            
                                                                        रऊफ अहमद सिद्दीकी
                                                                        एडिटर जनता की खोज
                                                                       न्यूज पेपर व मैगज़ीन  नॉएडा 

Tuesday, March 24, 2015

हाशिम पुरा कत्लेआम का जिमेदार कोन

२१ मार्च २०१५ को तीस  हजारी कोर्ट ने एक ऐसा फ़ेसला सुनाया जिससे लोगो का विश्वाश कानून से उठता हुआ नज़र आने लगा मेरठ हाशिम पुरा २२ मई १९८७ को दंगा भड़का जिस में मुसलमानों की दुश्मन पी ए सी को लगाया गया पी ए सी ने तलाशी के नाम पर ६४४ मुसलमानों को गिरफ्तार किया जिसमे १५० हाशिम पुरा के थे इनमे जो युवा थे करीब ५० लोगो को पी ए सी ने ट्रक नं यु आर पी १४९३ पर बिठाया ट्रक में इन लोगो के आलावा पी ए सी के १९ जवान थे २२ मई की ये रात हाशिम पुरा के इन नोजवानो के लिए सब से भयानक साबित हुई पी ए सी के जवानों ने इन युवाओ को एक एक करके ट्रक से उतार कर गोली मार दी और इन्हें गंग नहर में फेक दिया इस के अलावा पिटाई से भी ८ लोगो की मोत हो गयी इस घटना का दर्द और खोफ़ हाशिम पुरा में आज भी दिखाई देता हे घर घर में हाशिम पुरा कांड  की ऐसी यादे हें जो रोगटे खड़े कर देने वाली हें कोर्ट ने सबूत के अभाव में सभी कातिलो को बरी कर दिया जिससे पूरा देश सकते में हे इंसाफ की उम्मीद में इतने सालो का इंतज़ार निराश करने वाला हे या यूँ कहे  की इंसाफ से भरोसा उठाने वाला हे फ़ेसला आने के बाद लोगो ने प्रदेश सरकार और स्थानीय  पुलिस को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया हे अदालत को पांच चश्मदीद गवाहों और तमाम सबूत काफी नही लगे लोगो ने २८ साल केस लदा गवाह और सबूत दिए चंदा करके केस लड़ा मगर सरकार और प्रशासन ने इनके केस को इतना कमजोर कर दिया ४२ लोगो की हत्या करने वाले पी ए सी के कातिलो को कोर्ट ने बरी कर दिया अगर पूर्व पी एम चन्द्र शेखर अपने आवास पर प्रेस वार्ता करके ये खुलासा न करते तो शायद इस घटना का किसी को पता भी न चलता इस कांड में जिंदा बचा नासिर जिसने बताया उसके अलावा उस्मान नईम बाबू मुजीब को भी गोली मरी थी मगर किस्मत से ये लीग बच गये थे इतने साबुत भी कातिलो को सज़ा दिलाने में कम क्यों पड़े . एक बात और इस फेसले के बाद देश के किसी भी नेता या बुद्धिजीवी ने इस के खिलाफ कुछ भी कहने की जेहमत नही उठाई ज़ुल्म कितना भी बड़ा क्यों न हो मजलूम की हिफाज़त अल्लाह करता हे और एक दिन उसे सजा जरूर मिलती हे अभी मुसलमानों का भरोसा कानून से पूरी तरह उठा नही हे फिर से जालिमो को सजा दिलाने की कोशिश की जायगी . मुसलमानों को उम्मीद का दामन नही छोड़ना चाहिए  अल्लाह सब्र करने वालो के साथ हे  . अपने आप को मुसलमानों का रहनुमा कहने वाली समाजवादी पार्टी में अगर थोड़ी सी भी इंसानियत हे तो इस केस की फिर से तफ्शीश कराए और मुसलमानों के ज़ख्मो पर मरहम लगाये .. और देश के सब से बहतरीन प्रधानमंत्री मोदी जी इस केस में सच्चाई का साथ दे और इंसाफ परस्त पी एम के रूप में मुस्लमान भी उन पर दिल से भरोसा कर सके ./
                                                                         रऊफ अहमद सिद्दीकी
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