रऊफ अहमद सिददीकी की दुनिया में आपका स्वागत है

Saturday, January 3, 2015

जहाँ सांप बिच्छु नही डसते

दिल्ली से करीब १३० की  मी  की दूरी पर मुरदा बाद के पास एक शहर हे जिसका नाम हे अमरोहा यहाँ शाह विलायत के नाम से मजार हे जहाँ पर दूर दूर से लोग मन्नत मांगने आते हें और उनकी मुराद पूरी भी होती हे यहाँ के खादिम मो ० अनीस बताते हें की शाह विलायत सरकार जिनका नाम शर्फुद्दीन हे ईरान से सन १२७२ में यहाँ तशरीफ़ लाये इनके पीर ने इन्हें हुक्म दिया था की आप जाओ और दुनया के लोगो की परेशानी को दूर करो उन्हें फायदा पहुचाओ आप ने फरमाया कहाँ जाऊ और क्या करूं पीर ने उन्हें करामत दी और फरमाया आप को उस जगह रुकना हे जहाँ आप को खाने में बाढ़ की रोटी रहू मछली और आम खाने में मिले सरकार जब यहाँ आये इस जगह का नाम अजीत पुर था घना जंगल था एक औरत खेत में रोटी लेकर जा रही थी आप ने फरमाया कहाँ जा रही हो माई बूढी औरत ने कहा अपने बेटे के लिए खाना ले जा रही थी मगर अब इस खाने को आप ही खा लीजिये सरकार ने देखा तो हेरान रहे गये क्योंकि उस खाने में वो ही तीनो चीज़ थी बाढ़ की रोटी रहू मछली ओर आम आप समझ गये की मुझे यही रुकना हे वहां पर एक फकीर रहते थे उन्होंने कहा यहाँ ५२ बीघे में जंगल के सिवा कुछ नही हे बस सांप और बिच्छु हे आप ने कहा कितने भी सांप बिच्छु हो मगर मेरे इलाके में किसी को नही काठेंगे .. उस दिन के बाद उस इलाके में सांप बिच्छु किसी को नही डसते अगर उस इलाके के आलावा कोई जहरीला कीड़ा किसी को काट लेता हे और वो ५२ बीघा के अन्दर आ जाए तो जहर उतर जाता हे और उस खाने की वजह से उस शहर का नाम अमरोहा पड़ा अगर किसी के मस्से हो तो वहां एक झाड़ू चढ़ा दो मस्से ख़त्म हो जाते हें ये ही शाह विलायत की करामत हे .......                                                                                                                                                       रउफ सिद्दीकी नॉएडा